Posts

Showing posts from November, 2021

दाऊद अलैहिस्सलाम ज़ुबूर पढ़ने में नूर की हकीक़त।

Image
हज़रत दाऊद علیہ السلام ने बारगाहे इलाही में अर्ज़ की:               "अय अल्लाह ! मैं जब ज़बूर की तिलावत करता हूं- तो मुझे एक नूर नज़र आता है- मेरा मेहराब खुशी से झूमने लगता है- और मेरा क़ल्बो जिगर इंतिहाई राहत महसूस करता है- मेरा हुजरा मुनव्वर हो जाता है-इलाही वो नूर कैसा है?" फ़रमाया गया:             "ये नूरे मुहम्मदी ﷺ है- मैंने इसी नूर के तुफैल दुनियां-आखिरत-आदम-जन्नत और दोज़ख को पैदा फरमाया है-" हज़रत दाऊद علیہ السلام ने बलंद आवाज़ से नामे मुहम्मद ﷺ लिया तो परिंदे- जंगली वहशी जानवर- कोहो दश्त- बियाबान और सहरा से एक गूंज आई कि:                 "सद्दक़ता या दाऊद (यानी ऐ दाऊद علیہ السلام आपने सही कहा)- इसी मज़मून को कलामे इलाही से बयान किया:    وَلَقَدْ اٰتَيْنَا دَاوُوْدَ مِنَّا فَضْلًا ۖ يَا جِبَالُ اَوَّبِىْ مَعَهٝ وَالطَّيْرَ۔ "बेशक हमने दाऊद को अपनी तरफ से बुज़ुर्गी दी थी, अय पहाड़ो उनकी तस्बीह का जवाब दिया करो और परिंदों को ताबे कर दिया था-" ( سورۃ سبا،آیت:10 ) उस दि...

दुरुद शरीफ क्या है?

Image
दुरुद_शरीफ_कया_है? दुरुद शरीफ नबी करीम सल्लललाहोअलैह वसल्लम पर सलाम भेजने को कहा जाता है। दरासल दुरुद शरीफ एक दुआ भी है।  ये दुआ बङी कबुलियत रखती है । मांगने बाले पर दस रहमतें नाजिल होतीं हैं। इन्सान जब जी चाहे ओर जितना जी चाहे रहमत हासिल करे। हजरत सखी अब्दुल कादिर जीलानी गौसुल आजम रदियाल्लाह हु ता आला  अन्हा का फरमान है के उम्मत क नबी करीम सल्लललाहो अलैहे बसल्लम पर दुरुद भेजना मोहब्बत और शफाअत क तलब करना है। और जिसने मोहब्बत का इज्हार किया उसको कैसे सफाअत नसीब नही होगी। दुरुद शरीफ पढने बाले को दोनो तरफ से बरकत है। अल्लाह के दरबार मे मकबूलियत और हुजूर के दरबार मे कुबूलियत है। दुरुद शरीफ एक निहायत ही आसान ओर ब बरकत तिजारत है जिस से इन्सान को बिना तकलीफ सिर्फ मुनाफा ही मिलता है। दुरुद शरीफ पढने से अल्लाह की बारगाह मे कुर्ब हासिल होता है। जिसको भी अल्लाह का कुर्ब हासिल हुआ है सिर्फ दुरुद शरीफ से ही हासिल हुआ है। जब अल्लाह खुद भी दुरुद पढ रहा है और उसके फ़रिश्ते भी दुरुद पढते हैं। तो दुरुद शरीफ अल्लाह के जिक्र  और नबी की ताजीम पर एक लाजबाब इबादत है। हम इन्सान तो अल्लाह की...