दुरुद शरीफ क्या है?

दुरुद_शरीफ_कया_है?
दुरुद शरीफ नबी करीम सल्लललाहोअलैह वसल्लम पर सलाम भेजने को कहा जाता है।
दरासल दुरुद शरीफ एक दुआ भी है। 
ये दुआ बङी कबुलियत रखती है ।
मांगने बाले पर दस रहमतें नाजिल होतीं हैं।
इन्सान जब जी चाहे ओर जितना जी चाहे रहमत हासिल करे।
हजरत सखी अब्दुल कादिर जीलानी गौसुल आजम रदियाल्लाह हु ता आला  अन्हा का फरमान है के उम्मत क नबी करीम सल्लललाहो अलैहे बसल्लम पर दुरुद भेजना मोहब्बत और शफाअत क तलब करना है।
और जिसने मोहब्बत का इज्हार किया उसको कैसे सफाअत नसीब नही होगी।
दुरुद शरीफ पढने बाले को दोनो तरफ से बरकत है।
अल्लाह के दरबार मे मकबूलियत और हुजूर के दरबार मे कुबूलियत है।
दुरुद शरीफ एक निहायत ही आसान ओर ब बरकत तिजारत है जिस से इन्सान को बिना तकलीफ सिर्फ मुनाफा ही मिलता है।
दुरुद शरीफ पढने से अल्लाह की बारगाह मे कुर्ब हासिल होता है।
जिसको भी अल्लाह का कुर्ब हासिल हुआ है सिर्फ दुरुद शरीफ से ही हासिल हुआ है।
जब अल्लाह खुद भी दुरुद पढ रहा है और उसके फ़रिश्ते भी दुरुद पढते हैं।
तो दुरुद शरीफ अल्लाह के जिक्र  और नबी की ताजीम पर एक लाजबाब इबादत है।
हम इन्सान तो अल्लाह की  हा  मे हा मिलाकर बङे से बङा फायदा हासिल कर लेते हैं।
दुरुद शरीफ दरासल सलाम है जो हुजूर नबी करीम सल्ललाहो अलैह बसल्लम की खिद्मत मे पेश किया जाता है ।
और फायदा उसका बे इन्तेहा है।
दोनो जहानों की सलामती और बरकत ,कामयाबी ब कामरानी , जन्नत और कुर्ब ईलाही और सब कुछ उसके पढने से हासिल होता है।islamicbatein786.blogspot.com

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