पुल सिरात की ह़क़ीक़त

*○بِسْــــــــــــــــــــــمِ اللّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْم○* 🌷اللَّهُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وِبَارِك عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِه وعِتْرَتِهِ وَاسْقِنَا اللهم مِنْ شَرَابِ مَحَبَّتِكَ وَمَحِبَّتِهِ وَأَمِتْنَا عَلَى اِتِّبَاعِ كِتاَبِكِ وَسُنَّتِهِ وَاِجْعَلْنَا مِنْ اهْلِ خُصُوصِيَّتَهِ وَسَلِّمْ تَسْلِيمًا كَثِيرًا 🌷 #इस्लामी_अक़ाइद_व_मालूमात : #पुल_सिरात_की_ह़क़ीक़त #पुल_सिरात_का_मंज़र नबी पाक صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जहन्नम पर एक पुल है जो बाल से ज़्यादा बारीक और तलवार से ज़्यादा तेज़ है , उस पर लोहे के कुंडे और कांटे हैं जिसे अल्लाह पाक चाहेगा यह उसे पकड़ेंगे । लोग उस से गुज़रेंगे , बाज़ पलक झपकने की तरह , बाज़ बिजली की तरह , बाज़ हवा की तरह , बाज़ बेहतरीन और अच्छे घोड़ों और ऊंटों की तरह (गुज़रेंगे) और फ़िरिश्ते कहते होंगे : ربِّ سلِّم , ربِّ سلِّم (यानी ऐ परवरदिगार सलामती से गुज़ार , ऐ परवरदिगार सलामती से गुज़ार) बाज़ मुसलमान नजात पाएंगे , बाज़ ज़ख़्मी होंगे , बाज़ औंधे होंगे और बाज़ मुंह के बल ...