हुस्न ए मुस्तफा ﷺ

हुस्न मुबारक   ﷺ
सहाबा-ए-किराम  फरमाते हैं
 हमने बड़ी बड़ी हसीन चीज़े देखी मगर हुज़ूर अलैहिस्सलामﷺ से बढ़ कर कोई हसीन नहीं देखा...! 
#उठो_हुज़ूर_ﷺ_की_बात_करो

चलना मुबारक
हुज़ूर अलैहिस्सलाम ﷺ चलते वक़्त क़दम उठा कर 
और आगे की तरफ़ झुक कर चलते
ऐसा लगता जैसे आपﷺ ऊपर से नीचे उतर रहें हैं !

लुआब मुबारक 
हुज़ूर अलैहिस्सलामﷺ लुआब मुबारक को खारे पानी मे डाल दिया करते तो वोह पानी शहद से भी ज्यादा मीठा हो जाया करता!

दाढ़ी मुबारक 
आका अलैहिस्सलाम ﷺ की दाढ़ी शरीफ़ घनी और सियाह और निहायत ही खूबसूरत थी 
और सीना मुबारक को पुर किये हुए थी...!!


बाजू मुबारक
हुज़ूर अलैहिस्सलाम ﷺ के बाजू मुबारक निहायत सफ़ेद , कलाईयां मुबारक तवील थी और कलाईयों पर बाल थे !

खुतबा मुबारक 
आका अलैहिस्सलाम ﷺ जब खुतबा इरशाद फरमाते
दूर और नज़दीक वाले सब यक्सां अपनी अपनी जगह पर आपका ﷺ मुकद्दस कलाम सुन लिया करते !

हाथ मुबारक
 हुज़ूर अलैहिस्सलामﷺ के हाथ मुबारक खूबसूरत, रेशम से ज्यादा नर्म और खुशबूदार थे , हथेलियां मुबारक पुरगोश्त और कुशादा थी 
और अंगुलिया मुबारक लम्बी और खूबसूरत थी !

बीनी (नाक) मुबारक 
आका अलैहिस्सलाम ﷺ की मु-तबर्रक नाक ख़ूब सूरत दराज़ और बुलन्द थी
 जिस पर एक नूर चमकता हुआ दिखाई देता था !


पेशानी मुबारक 
आपकीﷺ मुबारक पेशानी कुशादा और चौड़ी थी 
जब अंधेरी रात में आप ﷺ की मुक़द्दस पेशानी ज़ाहिर होती तो इस तरह चमकती जिस तरह रात की तारीकी में रोशन चराग़ !

पसीना मुबारक 
आपके ﷺ रूखे अनवर पर पसीने के कतरात मोतियों की तरह झलकते!
और इसमें मुश्क वा अंबर से बड़ कर खुशबू रहती !


रुख़्सार मुबारक
आपकेﷺ रुख़्सार मुबारक पे पसीने के खुशबूदार कतरे ऐसे चमकते जैसे सोने का पानी चमकता हैं और
 यूँ महसूस होता है जैसे इस मुअज़्ज़ज़ नुमा रुख़्सार पे सोना चढ़ा दिया गया हैं !

हाथ मुबारक
जब हुज़ूर अलैहिस्सलामﷺ अपना हाथ मुबारक किसी बच्चे के सर पर फेरते
तो वोह खुशबू की वजह से
दूसरो बच्चो से अलग पहचाना जाता ..!

ज़बान मुबारक
आपकीﷺ मुकद्दस ज़बान की हुकुमरानी और शान का ये एजाज़ रहा कि 
 ज़बान से जो फरमा दिया 
वोह एक आन में मोज़िजा बन कर आलमे बुजूद में आ गया...!

गर्दन मुबारक 
हुज़ूर अलैहिस्सलाम ﷺ की गर्दन मुबारका निहायत ही मुआ'तादिल सुराहीदार खूबसूरत
और 
सफाई में निहायत ही बेमिस्ल और चांद की तरह साफ वा शफ़्फ़ाक थी..!

पाँव मुबारक
हुज़ूर अलैहिस्सलाम ﷺ के पाँव मुबारक की नरमी और नज़ाकत का ये आलम था..!
 के उन पर पानी ज़रा भी ना ठहरता...!


चेहरा-ए-मुबारक
करीम आका अलैहिस्सलामﷺ का चेहरा मुबारक इतना नूरानी था
कि जब वो नूर दीवार पर पड़ता तो दीवारें भी चमक उठतीं...! 


गुफ़्तगू मुबारक
आक़ा अलैहिस्सलामﷺ बड़ी वकार के साथ इस तरह ठहर ठहर कर गुफ्तगू फरमाते के 
अगर कोई आपके जुमलों को गिनना चाहता तो गिन सकता!

गोशे मुबारक
अम्मा आयशा रजी अल्लाहु अन्ह बयान करती हैं
आपकीﷺ मुबारक जुल्फ़ों के दरमियान दोनों सफ़ेद कान यूँ महसूस होते
 जैसे तारिकी मे दो चमकदार सितारे तुलू हो..!

जिस्में अतहर का रंग ....!
आका अलैहिस्सलामﷺ का रंग मुबारक सफ़ेद था यूँ लगता गोया आपका जिस्म अतहर चांदी मे ढाला गया है....!


कद मुबारक
आपकाﷺ कद मुबारक न बहुत बुलंद था न बिल्कुल छोटा मगर जब आप लोगो के दरमियान चलते तो उनसे बुलंद नज़र आते...!
 सुब्हान अल्लाह अल्लाह हु अकबर क्या शान है मेरे कमली वाले aaqa अलैहिसालम की।
उठो हुज़ूर ﷺ की बात करो ।हुस्न ए मुस्तफा
صلى الله عليه وسلم 

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