पुल सिरात की ह़क़ीक़त

*○بِسْــــــــــــــــــــــمِ اللّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيْم○*
🌷‏اللَّهُمَّ صَلِّ وَسَلِّمْ وِبَارِك عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ وَعَلَى آلِه وعِتْرَتِهِ وَاسْقِنَا اللهم مِنْ شَرَابِ مَحَبَّتِكَ وَمَحِبَّتِهِ وَأَمِتْنَا عَلَى اِتِّبَاعِ كِتاَبِكِ وَسُنَّتِهِ وَاِجْعَلْنَا مِنْ اهْلِ خُصُوصِيَّتَهِ وَسَلِّمْ تَسْلِيمًا كَثِيرًا 🌷
#इस्लामी_अक़ाइद_व_मालूमात 
 : #पुल_सिरात_की_ह़क़ीक़त 

#पुल_सिरात_का_मंज़र 

नबी पाक صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : जहन्नम पर एक पुल है जो बाल से ज़्यादा बारीक और तलवार से ज़्यादा तेज़ है , उस पर लोहे के कुंडे और कांटे हैं जिसे अल्लाह पाक चाहेगा यह उसे पकड़ेंगे । लोग उस से गुज़रेंगे , बाज़ पलक झपकने की तरह , बाज़ बिजली की तरह , बाज़ हवा की तरह , बाज़ बेहतरीन और अच्छे घोड़ों और ऊंटों की तरह (गुज़रेंगे) और फ़िरिश्ते कहते होंगे : 
ربِّ سلِّم , ربِّ سلِّم
(यानी ऐ परवरदिगार सलामती से गुज़ार , ऐ परवरदिगार सलामती से गुज़ार) 
बाज़ मुसलमान नजात पाएंगे , बाज़ ज़ख़्मी होंगे , बाज़ औंधे होंगे और बाज़ मुंह के बल जहन्नम में गिर पड़ेंगे । 
(मुस्नद अहमद , 9/415 , हदीस : 24847)

हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार ख़ान नईमी رحمة الله عليه फ़रमाते हैं : उनकी रफ़्तारों में यह फ़र्क़ उनके नेक आमाल और इख़्लास़ की वजह से होगा जैसा अमल , जैसा इख़्लास़ वैसी वहां की रफ़्तार । यहां اشعتہ لمعات ने फ़रमाया कि आमाल सबबे रफ़्तार हैं और हुज़ूर صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ की निगाहें करम असली वजहे रफ़्तार की है जितना कि हुज़ूर صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ से क़ुर्ब ज़्यादा उतनी रफ़्तार तेज़ । 
(मिरातुल मनाजीह , 7/474) 

मीठे मीठे इस्लामी भाइयों ! याद रहे पुल सिरात हर एक के लिए बाल से ज़्यादा बारीक नहीं होगा बल्कि जिसके लिए अल्लाह करीम चाहेगा उसके लिए वसीअ व अरीज़ वादी की तरह होगा जैसा कि हज़रते सय्यिदुना सईद बिन अबू बिलाल رحمة الله عليه ने फ़रमाया : मेरे पास यह बात पहुंची है कि क़ियामत के रोज़ पुल सिरात बाज़ लोगों पर बाल से भी बारीक होगा और बाज़ के लिए कुशादा वादी की तरह होगा । 
(ज़ुहुद इब्ने मुबारक , सफा 122 , हदीस : 406)।

#अक़ीदा  

" सिरात " हक़ है । इस पर ईमान लाना वाजिब (शरह सावी अला जौहरतुल तौहीद , सफा 389) और इसका इंकार गुमराही है । (मोतमिद मअ मोतमिद , सफा 335) ।
इस पुल से गुज़रे बग़ैर कोई जन्नत में नहीं जा सकता क्योंकि जन्नत में जाने का यही रास्ता है । 
(अल हदीक़ा नदिया , 2/15) 

#पुल_सिरात_से_सब_गुज़रेंगे 

पुल सिरात से हर एक को गुज़रना है जैसा कि क़ुरआन मजीद में है : وَاِنْ مِّنْكُمْ اِلَّا وَارِدُهَا ۚ كَانَ عَلٰى رَبِّكَ حَتْمًا مَّقْضِيًّا

तर्जमा कंज़ुल ईमान : और तुम में कोई ऐसा नहीं जिस का गुज़र दोज़ख़ पर न हो तुम्हारे रब के ज़िम्मा पर यह ज़रूर ठहरी हुई बात है । 
(पारह 16 , सूरह मरयम : 71) 
हज़रते सय्यिदुना अब्दुल्लाह बिन मसऊद , हज़रते सय्यिदुना हसन और हज़रते सय्यिदुना क़तादा رضی اللہ عنہم से रिवायत है कि जहन्नम पर वारिद होने से मुराद पुल सिरात से गुज़रना है जो कि जहन्नम के ऊपर बिछाया गया है । 
(तफ़्सीर बहर मुहीत , मरयम 71 , 6/197) 

#सबसे_पहले_गुज़रने_वाले 

सबसे पहले नबी صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ गुज़र फ़रमाएंगे , फिर और अम्बिया व मुर्सलीन , फिर यह उम्मत फिर और उम्मतें गुज़रेंगी । 
(बहारे शरीअत , 1/147) 

#सबसे_तेज़_रफ़्तार_लोग 

अल्लाह करीम ने हज़रते सय्यिदुना दाऊद ‏عٌلَيَهّ أفُضلَ آلَصّلَآةّ وٌآلَسِلَآمً  ‎से इरशाद फ़रमाया : ऐ दाऊद! क्या तुम जानते हो पुल सिरात पर सबसे पहले तेज़ी से गुज़रने वाले कौन होंगे ? वह जो मेरे फ़ैसले पर राज़ी रहे और उनकी ज़बाने मेरे ज़िक्र से तर रहें । 
(हिल्यातुल औलिया , 4/70 , रक़म : 4783)

#सबसे_आख़िर_में_गुज़रने_वाला 

पुल सिरात से गुज़रने वाला आख़िरी शख़्स पेट के बल घिसट घिसट कर गुज़रेगा , वह अल्लाह करीम की बारगाह में अर्ज़ करेगा : या अल्लाह मुझे इतनी देर क्यों लगी ? अल्लाह करीम इरशाद फ़रमाएगा : तुझे मैंने देर नहीं करवाई बल्कि तुझे तेरे आमाल ने देर करवाई । 
(तज़किरा क़ुर्तबी , सफा 318) 

#पुल_सिरात_से_गुज़रने_वाले_जन्नतियों_पर_इन्आम

एक मर्तबा हज़रते सय्यिदुना काबुल अहबार رحمة الله عليه ने  सूरह मरयम की यही आयत {وَاِنْ مِّنْكُمْ اِلَّا وَارِدُهَا}
       तिलावत की : फिर फ़रमाया : तुम जानते हो कि दोज़ख़ पर लोगों का गुज़र किस तरह होगा ? फिर ख़ुद ही फ़रमाने लगे : जहन्नम लोगों पर ऐसे ज़ाहिर होगा गोया चर्बी की तरह जमी है , जब नेक व बद के क़दम उस पर जम जाएंगे तो एक मुनादी निदा देगा : ऐ जहन्नम ! अपने असहाब पकड़ ले और मेरे असहाब छोड़ दे फिर जहन्नम में जाने वाले उस में गिरने लगेंगे वह उन्हें इस तरह पहचान लेगा जैसे कोई बाप अपने बेटे को पहचानता है , मोमिन उसे इस तरह पार कर लेंगे कि उनके कपड़ों पर कोई निशान नहीं होगा । 
(हिल्यातुल औलिया , 5/403 , रक़म : 7527) 
जन्नतियों पर यह इनाम भी होगा कि उन्हें जहन्नम की हल्की से आवाज़ भी सुनाई नहीं देगी चुनान्चे अल्लाह करीम इरशाद फ़रमाता है : 
لَا یَسْمَعُوْنَ حَسِیْسَهَاۚ-وَ هُمْ فِیْ مَا اشْتَهَتْ اَنْفُسُهُمْ خٰلِدُوْنَۚ(۱۰۲)
तर्जमा कंज़ुल ईमान : वह उसकी हल्की सी आवाज़ भी न सुनेंगे और अपनी दिल पसंद नेमतों में हमेशा रहेंगे । 
(सिरातुल जिनान , 6/380) 
(पारह 17 , सूरह अम्बिया : 102) 

#पुल_सिरात_की_मुसाफ़त 

पुल सिरात की मुसाफ़त कितनी है इसके बारे में मुख़्तलिफ़ अक़्वाल हैं : (1) बहुत से उलमा व मुफ़स्सिरीन ने हज़रते सय्यिदुना इमाम मुजाहिद और हज़रते सय्यिदुना इमाम दुहाक رحمة الله عليه से नक़्ल फ़रमाया कि पुल सिरात का सफ़र तीन हज़ार साल की राह है , एक हज़ार साल ऊपर चढ़ने के , एक हज़ार साल नीचे उतरने के और एक हज़ार साल उसकी सतह पर चलने के । 
(उम्दातुल क़ारी , 13/482) 
(तफ़्सीर क़ुर्तबी , पारह 30 , बलद ; 11 , 10/47) 

(2) हज़रते सय्यिदुना फ़ुज़ैल बिन ईयाज़ رحمة الله عليه से मंक़ूल है : पुल सिरात का सफ़र पंद्रह हज़ार साल की राह है , पांच हज़ार साल ऊपर चढ़ने के , पांच हज़ार साल नीचे उतरने के और पांच हज़ार साल (उसकी पुश्त पर) चलने के । इस पर से वह गुज़र सकेगा जो ख़ौफ़े ख़ुदा के बाइष नातवान व कमज़ोर होगा । 
(बदूर साफ़रा , सफा 334) 

#हमारे_नबी_की_दुआ_और_फ़िरिश्तों_की_निदा 

फ़रमाने मुस्तफा صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : तुम्हारे नबी صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ सिरात पर खड़े ربِّ سلِّم أمّتي , ربِّ سلِّم أمّتي दुआ कर रहे होंगे । 
(मुस्लिम , सफा 106 , हदीस : 482)  और फ़िरिश्ते भी उस पर खड़े अर्ज़ कर रहे होंगे : ऐ अल्लाह ﷻ ! सलामती से गुज़ार , सलामती से गुज़ार , सलामती से गुज़ार । 
(हिल्यातुल औलिया , 3/310 , रक़म : 4054) 

#पुल_सिरात_पर_मोमिनों_का_शिआर 

नबी पाक صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : पुल सिरात पर मोमिनीन का शिआर होगा  :
ربِّ سلِّم , ربِّ سلِّم , ربِّ سلِّم
यानी या अल्लाह ! हमें सलामती के साथ गुज़ार , हमें सलामती के साथ गुज़ार , हमें सलामती के साथ गुज़ार । 
(तिर्मिज़ी , 4/195 , हदीस : 2440)

अल्लाह करीम हमें सलामती से पुल सिरात से पार लगाए । 
اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللہ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلہٖ وَسَلَّم
पुल सिरात के बारे में मज़ीद जानने के लिए शेख़े तरीक़त अमीर अहले सुन्नत دامت برکاتہم عالیہ का रिसाला  " पुल सिरात की दहशत " पढ़िए । 

↪ या इलाही जब चलूँ तारीक राहे पुल सिरात ↩
↪ आफ़ताबे हाशमी नूरुल हुदा का साथ हो ↩
↪ या इलाही जब सरे शमशीर पर चलना पड़े ↩
↪ रब्बी सल्लिम कहने वाले ग़मज़दा का साथ हो ↩ 

📚हदाइक़े बख़्शिश ; 133📚 

صَلُّو ا عَلَی الْحَبِیب ! صلَّی اللّٰہُ تعالٰی علٰی محمَّد
           
     ❍°•┈┈•⇓❤❃❤⇓•┈┈•°❍

Comments

Popular posts from this blog

मिलादुन्नबी सल्लल्लाहू अलैह व सल्लम के दिन खुब सलाम ही सलाम भेजो क्योकि कुरान कहता है।

ईदे गदीर मनाना जाईज़ है या नहीं"

एक नौजवान कहता है: