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फलस्तीन

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* ये फलस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है। * हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने फ़लस्तीन की तरफ हिजरत फ़रमाई। * अल्लाह ने हज़रत लूत अलैहिस्सलाम को उस अज़ाब से निजात दी जो उनकी क़ौम पर इस जगह नाज़िल हुआ था। *हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने इस सरजमीं पर सकूनत रखी और यहां अपना एक मेहराब भी तामीर फ़रमाया। * हज़रत सुलेमान (अलै०हिस०) इस मुल्क में बैठ कर सारी दुनिया पर हूकूमत करते थे। * कुर‌आन में चींटी का वह मशहूर किस्सा जिसमें एक चींटी ने बाकी साथियों से कहा था " ऐ चींटियों! अपने बिलों में घुस जाओ" ये किस्सा यहिं फलस्तीन के "असक़लान" शहर की वादी में पेश आया था। * हज़रत ज़करिया अलै०हिस० का मेहराब भी इसी शहर में है। * हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने इस मुल्क के बारे में अपने साथियों से कहा था, इस मुकद्दस शहर में दाखिल हो जाओ! उन्होंने इस शहर को मुकद्दस इसलिए कहा था कि ये शिर्क से पाक और नबियों की सरजमीं है। * इस शहर में क‌ई मोअज़्ज़े हुए है जिनमें एक कुंवारी बीबी हज़रत मरयम के बुतन से ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई। * हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को जब उनकी क़ौम ने क़त्ल करना चाहा तो अल्लाह ने ...

इन्सान अपने ज़िंन्दगी की उम्र के चार मरहलो मे जिता है

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इन्सान अपने ज़िंन्दगी की उम्र के चार मरहलो मे जिता है   एक - इन्सान के बचपने से लेकर जवानी तक का मरहला इसमे इन्सान का जिस्म परवान चढता है ये पैदाईश से लेकर बिस साल कि उम्र का मरहला है  दौ - दुसरा मरहला बिस साल से लेकर चालिस साल तक का है इस मरहले मे इन्सान अपने शबाब को पहुचता है  तीन - तिसरा मरहला इन्हितात का है ये चालिस से लेकर साठ साल का है इसमे इन्सान अधेङ उम्र को पहुचता है ये उम्र ए ढलान का है इसको कहुलत कहते है चौथा - साठ से सत्तर अस्सी साल कि उम्र का है इसको सन्ने इन्हितात कहते है इस मरहले पर इन्सान बुढापे कि तरफ चला जाता है  अब कुरान फरमाता है 👇👇 وَ اللّٰہُ خَلَقَکُمۡ ثُمَّ یَتَوَفّٰىکُمۡ ۟ ۙ وَ مِنۡکُمۡ مَّنۡ یُّرَدُّ اِلٰۤی اَرۡذَلِ الۡعُمُرِ لِکَیۡ لَا یَعۡلَمَ بَعۡدَ عِلۡمٍ شَیۡئًا ؕ اِنَّ اللّٰہَ عَلِیۡمٌ قَدِیۡرٌ यानी - और अल्लाह ने तुम्हे पैदा किया फिर तुम्हारी जान कब्ज़ करेगा और कोई तुममे सबसे नाकिज़ उम्र कि तरफ फेरा जाता है के जानने के बाद भी कुछ ना जाने बेशक अल्लाह सबकुछ जानता है और सबकुछ कर सकता है ( सुराह नहल आयत 70 ) नबी ए करीम सल्लल्लाहु...

मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी رحمۃ اللہ علیہ की हिस्ट्री।

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*l मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी رحمۃ اللہ علیہ की हिस्ट्री।_*  *_ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी رحمۃ اللہ علیہ एक बहुत बड़े सूफ़ी, आलिम और चिश्ती सिलसिले के बुज़ुर्ग थे। आप ईरान में खुरासान के क़रीब संजर नामी गांव के एक अमीर घराने में पैदा हुए।_*   *_पैदाइश:- ) ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رحمۃ اللہ علیہ की पैदाइश 14 रजबुल मुरज्जब को हुई। और आपका नाम मोइनुद्दीन रखा गया। आपके वालिद का नाम ख़्वाजा ग़यासुद्दीन رحمۃ اللہ علیہ था। ख़्वाजा ग़यासुद्दीन رحمۃ اللہ علیہ एक बड़े अमीर ताजिर थे। साथ ही साथ आप बड़े आबिदो, ज़ाहिद, परहेज़गार और बाअसर शख़्स थे। ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رحمۃ اللہ علیہ की वालिदा का नाम बीबी माहे नूर था। ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رحمۃ اللہ علیہ हसनी हुसैनी सय्यद थे। आपका नसब 12 वासतों से ह़ज़रत अली رضی اللہ عنہ से मिलता है। ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رحمۃ اللہ علیہ के घर में बेहिसाब दौलत होने के बावजूद भी बचपन से बड़े ही क़नाअ़त पसंद थे।_*  *_बचपन:- ) ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ رحمۃ اللہ علیہ अभी 15 साल के थे कि आपके वालिद का साया आपके सर से उठ गया। आपको इसका बहुत ग़म हुआ और आपकी तालीम पर...

Information about jins 💢

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Information about jins 💢 Allah says (and He created the jinn and mankind only to worship) The jins see us but we do not see them because Allah has made a membrane in the eyes of  man so that we do not see them because if we see them we might die of fear or become blind because of the shock. Their sight is really terrifying . They always live around us and there are 3 types of them : ➖Elifrit -this ones have the ability to transfer things from one country to another and they are used by witches and sorcerers ➖Alkhabal- these are the freaks of the jin and they disturb man such as wearing their clothes, eplilepsy and so on ➖Ghilan- They appear in form of man,cat, dog, donkey, or any animal. Allah has created different types of jinn. Among them are some who can take on different forms, such as dogs and snakes; some who are like flying winds with wings; and some who can travel and rest. Abu Thalabah al-Khushani said: The Messenger of Allah (peace and blessings of Allah be upon him) sai...

Excitement and joys of mount of Uhud for prophet Muhammad (ﷺ)

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This is an aerial photo of the Mount of Uhud. One day, the Prophet climbed the mountain with Sayyiduna Abu Bakr, Sayyiduna 'Umar, and Sayyiduna 'Uthman — and the mountain began to shake out of excitement and joy. He pressed his foot on the mountain and said, 'Remain firm, O Uhud, for there is a Prophet, a Siddiq, and two martyrs upon you.' Years later, Sayyiduna 'Umar and Sayyiduna 'Uthman were martyred which fulfilled the words of the Messenger of Allah. Another time, the Prophet returned from a journey and as he came close to the borders of the city, he pointed towards Uhud and said, 'Uhud is a mountain. It loves us and we love it!' The 'ulama have said that Rasulallah said Uhud is a mountain that loves him to teach us that everything in creation loves Rasulallah. The sky loves him and rain would come down with his du'as, the clouds love him and would give him shade, the earth loves him and would fold up him, the trees love him and would give s...

शाने ग़ौसे आज़म

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ग़ौसे आज़म नाम  अब्दुल क़ादिर  लक़ब  मोहिउद्दीन (दीन को ज़िंदा करने वाला)  वालिद  अबु सालेह मूसा (जंगी दोस्त) वालिदा  उम्मुल खैर फातिमा विलादत  1/9/470 हिजरी,जीलान विसाल  11/4/561 हिजरी,बग़दाद  बीवियां  4  औलाद  49  महज़ब  हम्बली * आप पैदाईशी वली हैं,आप हसनी हुसैनी सय्यद हैं,आपकी विलादत के वक़्त आप की वालिदा की उम्र 60 साल थी,आप बचपन में माहे रमज़ान मुबारक में दिन भर दूध नहीं पीते थे,आपकी तक़रीर में 60000,70000 का मजमा हो जाता था,आपके बदन पर कभी मक्खी नहीं बैठी,आपने 1 ही वक़्त में 70 लोगों के यहां अफ्तार किया,तमाम उम्मत का इज्माअ है कि आप ग़ौसे आज़म हैं,आप फरमाते हैं कि मेरी नज़र हमेशा लौहे महफूज़ पर लगी रहती है,आप फरमाते हैं कि मुरीद को हर हाल में अपने पीर की तरफ ही रुजू करना चाहिये अगर चे वो करामत से खाली भी हुआ तो क्या हुआ मैं तो खाली नहीं हूं उसके तवस्सुल से मैं उसे अता करूंगा,आपसे बेशुमार करामते ज़ाहिर है 📕 तारीखुल औलिया,सफह 24-54 📕 अलमलफूज़,हिस्सा 3,सफह 56 📕 फतावा रज़वियह,जिल्द 9,पेज 129 *बचपन की कुछ करामतें* *🌹* जब आप ...