24 घंटे मैं 10 मिनट क़ुरान् पढ्ने के ज़रूर निकले। क़ुरान् पढ़े और अवाम् तक आम करें।
ज़्यादा नहीं एक काम कीजियेगा ,
कंजूल ईमान तर्जुमे वाला क़ुरान ले आइए ,
ज़्यादा हदिया नहीं होता है इसका ,
उसमें साथ मे मुख्तसर तफ़्सीर भी होती है ,
ज़्यादा नहीं बस रोजाना आधा सफा तिलावत कीजिये ,
उसका तर्जुमा पढ़िए ,
फिर उसकी तफ़्सीर पढ़िए ,
बस 10 मिनट लगेंगे ,
क़ुरानी इल्म हासिल करने का बहुत आसान और सस्ता तरीका है ,
आधा सफा न हो सके तो जितना मयस्सर आये , एक लाइन दो लाइन जितना भी ,
अगर ये भी मुमकिन न हो तो 24 घण्टे मोबाइल में लगे रहते हैं इसको जहमत की जगह नेमत बनाइये ,
यही जहन्नम में ले जाने का सबब है आज के दौर में और आप चाहें तो यही जन्नत में ले जाने का बाइस भी बन सकता है ,
इसी में तर्जुमा तफ़्सीर वाला क़ुरान डाऊनलोड कर लीजिए या एप्प इंस्टाल कर लीजिए ,
जिस ,ज़बान में चाहिए सब मौजूद है नेट पर ,
रोजाना घण्टो तो यु ट्यूब फेस्बूक चलाते ही हैं ,
बस 10 मिनट उसमें से इस काम के लिए मोबाइल में लगा दीजिए ,
अगर ये भी न कर सकें तो सही उल अक़ीदा उलेमा जैसे मुफ़्ती सलमान अजहरी या साकिब रज़ा , या पीर अजमल क़ादरी या मुफ़्ती आसिफ अब्दुल्लाह क़ादरी जैसे हज़रात की क़ुरानी तफ़्सीर पर बयानात हैं वो रोजाना थोड़ा थोड़ा सुनिए ,
क़ुरान को जानने वाले बन जाएंगे ,
और ज़िन्दगी में एक अजब सा बदलाव महसूस करेंगे ,
याद रखें कि इस दौर में क़ुदरत ने इतनी आसानियां कर दी हैं कि कल जवाब देने के वक़्त हमारे पास कोई बहाना या मौक़ा नहीं बचेगा ,
अगले गुज़रे हुए लोगों को पेश करके हमसे जवाब लिया जाएगा कि इन्हें हमने ये सब नहीं दिया था इनके वक़्त में ये सब नहीं था फिर भी ये इतना सब कुछ करके आये हैं ,
जबकि तुझे हमने उस ज़माने में पैदा किया जब बहुत आसानियां थीं , तो अमल इससे ज़्यादा होना चाहिए था ,
तेरा पन्ना साफ क्यूँ है आमाले सुआलेह वाला ,,
अमल से ज़िन्दगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी ,
ये खाकी अपनी फितरत में न नूरी है न नारी है ,
नोट ,, जहां तहरीर या मसला समझ न आये तो खुद अल्लामा बनने से बचना भी है , और उलमा से रुजू करके उसे सही से समझना भी है ,
उलमा की रहनुमाई के बिना कुछ न समझें
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