इब्लीस_कौन_था।
#इब्लीस_कौन_था...?
अम्बिया की तौहीन कुफ्र है
अल्लाह पाक ने फ़रिश्तों में जब एलान फ़रमाया कि मैं ज़मीन पर अपना एक ख़लीफ़ा बनाने वाला हूं तो शैतान ने इसका बहुत बुरा माना। अपने दिल ही दिल में हसद की आग में जलने लगा।
🌟चुनांचे जब खुदा ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को पैदा फ़रमाकर फ़रिश्तों को हुक्म दिया कि मेरे खलीफ़ा के आगे सज्दे में झुक जाओ तो सब सज्दे में झुक गये। मगर शैतान अकड़ा रहा और न झुका। अल्लाह पाक को उसका यह तकब्बुर पसंद न आया उससे फ़रमाया
कि ऐ इबलीस । मैंने जब अपने दस्ते कुदरत से बनाए हुए ख़लीफ़ा के आगे सज्दा करने का हुक्म दिया तो तुमने क्यों न सज्दा किया शैतान ने जवाब दिया मैं आदम से अच्छा हूं। इसलिए कि मैं आग से बना हूं और वह मिट्टी
से बना है। फिर मैं एक बशर को सज्दा क्यों करता खुदा तआला ने इसका यह तकब्बुर भरा जवाब सुना तो फरमाया मरदूद निकल जा मेरी बारगाहे रहमत से जा तू क़्यामत तक के लिए मरदूद व मलऊन है
*(📚सच्ची हिकायत हिस्सा,1सपह,63)*
*📜सबक ::* खुदा के रसूल और उसके मकबूल की इज्ज़त व ताज़ीम करने से अल्लाह पाक खुश होता है और उनको अपनी मिस्ल बशर समझकर उनकी ताजीम से इन्कार कर देना फेअले शैतानी है एक पैगम्बरे खुदा को सबसे पहले तहकीरन *(हकीर नजर से)* बशर कहने वाला शैतान है,,
*_*_*_
बोला मैं इससे बेहतर हूं,तूने मुझे आग से बनाया और इसे मिटटी से,फरमाया तू जन्नत से निकल जा कि तू रांदा गया*
📕📚 पारा 23,सूरह स्वाद,आयत 75-76*
*_ये इब्लीस लईन का वो वाक़िया है जिसे आपने 1 नहीं 1000 बार सुना होगा कि उसने हज़रते आदम अलैहिस्सलाम को सजदा नहीं किया तो मौला तआला ने उसे हमेशा के लिए जहन्नमी क़रार दे दिया,सबसे पहले उस लईन के बारे में जानिये कि वो था क्या ,और एक नबी की तौहीन करके क्या बन गया,पढ़िये👇_*
*पहले आसमान पर इब्लीस का नाम आबिद - दूसरे पर ज़ाहिद - तीसरे पर आरिफ - चौथे पर वली - पांचवे पर तक़ी - छठे पर खाज़िन - सातवे पर अज़ाज़ील - और लौहे महफूज़ में इब्लीस था,ये 40000 साल तक जन्नत का खज़ांची रहा,14000 साल तक अर्शे आज़म का तवाफ करता रहा,80000 साल तक फरिश्तो के साथ रहा जिसमे से 20000 साल तक फरिश्तो का वाज़ो नसीहत करता रहा और 30000 साल कर्रोबीन फरिश्तो का सरदार रहा और 1000 साल रूहानीन फरिश्तो का सरदार रहा,इब्लीस ने 50000 साल तक अल्लाह की इबादत की यहां तक कि अगर उसके सजदों को जमीन पर बिछाया जाए तो एक बालिश्त जगह भी खाली ना बचे*
*📕📚 तफसीरे सावी,जिल्द 1,सफह 22*
*📕📚 तफसीरे जमल,जिल्द 1,सफह 50*
*📕📚 ज़रकानी,जिल्द 1,सफह 59*
*_मुअल्लमुल मलाकूत होने और लाखों बरस इबादत करने के बावजूद सिर्फ एक सज्दा हज़रते आदम अलैहिस्सलाम को ना करने की बिना पर उसको रांदये बरगाह कर दिया गया,उसके एक सजदा ना करने में 4 कुफ्र थे मुलाहज़ा फरमायें_*
*_1. उसने कहा कि तूने मुझे आग से बनाया और इसको मिटटी से मैं इससे बेहतर हूं,इसमें मलऊन का मक़सद ये था कि तू बेहतर को अदना के आगे झुकने का हुक्म दे रहा है जो कि ज़ुल्म है,और उसने ये ज़ुल्म की निस्बत खुदा की तरफ की जो कि कुफ्र है_*
*_2. एक नबी को हिकारत से देखा,और नबी को बनज़रे हिक़ारत देखना कुफ्र है_*
*_3. नस के होते हुए भी अपना फलसफा झाड़ा,मतलब ये कि जब हुक्मे खुदा हो गया कि सज्दा कर तो उस पर अपना क़ौल लाना कि मैं आग से हूं ये मिटटी से है ये भी कुफ्र है_,*
*_4. इज्माअ की मुखालिफत की,यानि जब सारे के सारे फरिश्ते झुक गए तो इसको भी झुक जाना चाहिए था चाहे बात समझ में आये या नहीं क्योंकि इज्माअ की मुखालिफत भी कुफ्र है_*
*📕📚 नुज़हतुल मजालिस,जिल्द 2,सफह 34*
*_सोचिये कि जब लाखों बरस इबादत करने वाला एक नबी यानि हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की तौहीन करने की बनिस्बत लाअनती हो गया तो जो लोग नबियों के सरदार हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की तौहीन कर रहे हैं उनका क्या होगा,उल्माये किराम फरमाते हैं कि जिसने हुज़ूर की नालैन शरीफ की तौहीन कर दी वो भी काफिर हुआ बल्कि ऐसों को मुर्तद कहते हैं यानि वो वाजिबुल क़त्ल हैं_*
*जो किसी नबी की गुस्ताखी के सबब काफिर हुआ तो किसी भी तरह उसकी तौबा क़ुबूल नहीं और जो कोई उसके कुफ्र में या अज़ाब में शक करे वो खुद काफिर है*
*📕📚 रद्दुल मुख्तार,जिल्द 3,सफह 317*
*_और मेरे आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि👇_*
*किसी भी काफिर की तौबा क़ुबूल है मगर जो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताखी करके काफिर हुआ तो किसी भी अइम्मा के नज़दीक उसकी तौबा क़ुबूल नहीं,अगर इस्लामी हुक़ूमत हो तो ऐसो को क़त्ल ही किया जाए अगर चे उनकी तौबा सच्ची ही क्यों ना हो अगर तौबा सही हुई तो क़यामत के दिन बख्शा जायेगा मगर यहां उसकी सज़ा मौत ही है*
*📕📚 तम्हीदे ईमान,सफह 42*
*_अब हर पढ़े लिखे और बे पढ़े लिखे से ये सवाल है कि नीचे बद अक़ीदों की किताबों से दी गई इबारतें पढ़ें या पढ़वाकर सुनले और अक़्ल से फैसला करे कि क्या ये कलिमात हुज़ूर की शान में गुस्ताखी के नहीं हैं और क्या ऐसा कहने वालों या ऐसा कहने वालों को जो सही कहे क्या उन्हें मुसलमान समझा जा सकता है,पढ़िए_*
*_📕! तक़वियतुल ईमान सफह 27 पे हुज़ूर को चमार से ज़्यादा ज़लील लिखा,माज़ अल्लाह,क्या ये गुस्ताखी नहीं है_*
*_📕! तक़वियतुल ईमान सफह 56 पे लिखा कि नबी को किसी बात का इख़्तियार नहीं है,माज़ अल्लाह,क्या ये गुस्ताखी नहीं है_*
*_📕! तक़वियतुल ईमान सफह 75 पे लिखा कि नबी के चाहने से कुछ नहीं होता,माज़ अल्लाह,क्या ये गुस्ताखी नहीं है_*
*_📕! तहज़ीरुन्नास सफह 8 पे लिखा कि उम्मती भी नबी से अमल में आगे बढ़ जाते हैं,माज़ अल्लाह,क्या ये गुस्ताखी नहीं है_*
*_📕! तहज़ीरुन्नास सफह 43 पे लिखा कि हुज़ूर खातेमुन नबीयीन नहीं है,माज़ अल्लाह,क्या ये गुस्ताखी नहीं है_*
*_📕! बराहीने कातिया सफह 122 पे लिखा कि हुज़ूर का इल्म शैतान से भी कम है,माज़ अल्लाह,क्या ये गुस्ताखी नहीं है_*
*_📕! हिफज़ुल ईमान सफह 7 पे लिखा कि हुज़ूर का इल्म तो जानवरों की तरह है,माज़ अल्लाह,क्या ये गुस्ताखी नहीं है_*
*_📕! सिराते मुस्तक़ीम सफह 148 पे लिखा कि नबी का ख्याल नमाज़ में लाना गधे और बैल से भी बदतर है,माज़ अल्लाह,क्या ये गुस्ताखी नहीं है_*
*_अगर ये सब बातें इन बद अक़ीदों के बाप-दादा की शान में की जाए तो क्या वो इसे अच्छा समझेंगे,नहीं और यक़ीनन नहीं तो फिर कैसे एक मुसलमान इन काफिरों को अच्छा समझे जिसने मेरे आक़ा की शान में गुस्ताखी की और उन्हें ईज़ा दी तो ऐसों के लिए ही मौला तआला क़ुर्आन में फरम
*वो जो रसूल अल्लाह को ईज़ा देते हैं उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है*
*📕📚 पारा 10,सूरह तौबा,आयत,61*
*_आजकल तो ऐसे मुसलमानों की कसरत है जो दुश्मनाने रसूल को दुश्मन ही नहीं समझते हालांकि अगर कोई उनके मां-बाप को गाली देदे तो हाथा पाई पर उतर आएंगे मगर जो नबी की शान में गुस्ताखियां करते फिरते हैं उन्हें अपना अज़ीज़ समझते हैं •─━━━═•✵⊰✿⊱✵•═━━─• 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 ✨➖✨➖✨➖✨➖✨ 🤲 दुआओं में याद रखिएगा 🤲 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 ✨➖✨
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