रमज़ानुल मुबारक मे शैतान को केद करने कि वजह और ये बात का खुलासा कि जब शैतान केद हो जाता है तो फिर गुनाह क्यो होते है ?)


जैसा कि मुस्लिम शरीफ कि हदीस है कि शयातिन बेङियो मे जकङ लिये जाते है ,
तो सवाल बनता है कि जब शैतान को केद कर दिया जाता है तो इबादतो मे सुस्ती काहीली ,वसवसे आना ,गुनाहो का इर्तिकाब क्यो होता है ? 

दर असल शैतान इन्सान को गुनाहो पर और शर पर साल के 11 महीने इन्सानो को डाईरेक्शन देता है ,,उन्हे गुनाह करने पर उमादा करता है ,,फिर इन्सान शैतान के बताए हुवे डाईरेक्शन को फाॅलो करता है और गुनाह का इर्तिकाब कर बैठता है ,
उस गुनाह कि बदौलत इन्सान के दिल मे निफाक पैदा होता 
वही निफाक शैतान के केद होने के बाद भी इन्सान को गुनाहो कि तरफ रिझाता है ,उभारता है, इबादतो पर सुस्ती व काहीली पैदा करता है 

लिहाज़ा वो निफाक जो दिल मे बसा हुवा होता है वो निफाक इन्सान को नज़र नही आता  उसी निफाक को इन्सान को बताने के लिये ,इन्सान को शिनाख्त कराने के लिये अल्लाह शैतान को केद कर देता है 

ताकी रमज़ान मे इन्सान को ये समझ आ जाए कि अब तो शैतान केद है फिर ऐसे मुकद्दस माह मे मेरे दिल मे गुनाहो के ख्याल. क्यो आ रहे है ? क्यो मै इबादतो मे तौबा करने मे सुस्ती कर रहा हु 
लिहाज़ा मेरे दिल मे ही कुछ खोट है मुझे अपने गिरेबान मे झाकने कि ज़रुरत है 
ये मारेफत देने के लिये शैतान को केद किया जाता है ताकी हमारे दिल मे बसने वाले निफाक का हमको इल्म हो जाए ,

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