जब हज़रत अबू ज़र गिफ़्फ़ारी ने बिलाल रदियल्लाहो अन्हू से कहा ए काली कलूटी मां के बेटे अब तू भी मेरी गलतियां निकालेगा 
बिलाल ये सुन कर गुस्से और अफसोस से बेक़रार हो गए और कहते हुए उठे खुदा की क़सम मैं इसे ज़रूर बिल ज़रूर अल्लाह के रसूल के सामने उठाऊंगा 
ये माजरा सुन कर अल्लाह के प्यारे रसूल के चहरे का रंग बदल गया 
इरशाद फरमाया ए अबू ज़र क्या तुमने इसे मां की आर दिलाई
तुम्हारे अंदर की जिहालत अब तक ना गई

इतना सुनना था कि हज़रत अबू ज़र ये कहते हुए रोने लगे
और कहने लगे या रसूलुल्लाह मेरे लिए दुआए मगफिरत कर दीजिए और रोते हुए मस्जिद से निकल गए 
 बाहर आकर अपना रुखसार मट्टी पे रख दिया
और बिलाल से मुखातिब हो कर कहने लगे 
बिलाल जब तक तुम मेरे रुखसार को अपने पांव से ना रौंदोंगे 
मैं इसे मिट्टी से ना उठाऊंगा 
यक़ीनन तुम मुअज़्ज़ज़ और मोहतरम हो और मैं ज़लीलो ख्वार हूं 

ये देख कर बिलाल रोते हुए आए और अबू ज़र के क़रीब हो कर उनके रुखसार को चूम लिया और बेसाख्ता गोया हुए खुदा की क़सम मैं उस रुखसार को कैसे रौंद सकता हूँ जिसने खुदा को एक बार सजदा किया हो फिर दोनों खड़े होकर गले मिले और बहुत रोए ( बुख़ारी शरीफ ) 
आज हम एक दूसरे की हज़ार बार दिल आज़ारी करते हैं लेकिन कोई ये नही कहता भाई माफ करें बहन माज़रत क़ुबूल करें 
ये सच है के हम आए दिन लोगों के ज्ज़वात को छलनी करते हैं
मगर हम माज़रत के चंद अल्फ़ाज़ भी ज़बान से अदा नहीं करते
और माफ कीजिये जैसा एक अदद लफ्ज़ कहते भी हिम्मत नही होती 
माफी मांगना उम्दा सकाफत और बहतरीन अख़लाक़ है जबके कई लोग समझते हैं ये खुद की बेइज़्ज़ती है
हम सब मुसाफिर हैं और सामाने सफर निहायत मुख़्तसर है और हम सब अल्लाह से माफी और दर गुज़र के उम्मीद ख़्वाहं हैं

Comments

  1. Allah Paak Hum Sabko Aajizi Ikhtiyar Karne Ki Taufeeq Ata Farmaye.

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