मोटर ,बाईक ,कार ,मेकिनिकल डेवोलाॅप कि बशारत और हदीस ए मुबारका
जिस दौर मे लोग जहा घोङो खच्चर ऊंटो पर सफर करते थे
बङी बङी कार ,ऊंची ऊंची सीट वाली बाईको का कोई तसव्वुर भी नही था ,
उस दौर के अन्दर हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम ने ,,इन बाईक ,कार मोटर व्हीकल कि तरफ इशारा फरमाया देखिये हदीसे मुबारका 👇👇
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम ने इरशाद फरमाया इस उम्मत के आखरी ज़माने मे कुछ लोग होंगे जो बङी बङी मयासिर पर सवार होकर मस्जिदो के दरवाज़े पर आएगे ,,इनकी औरते कपङे पहनकर भी नंगी होगी इनके सर बख्ती ऊंटो कि कुहान के मिस्ल उठे होंगे इन पर लानत करो क्योकि वो मल ऊना औरते होंगी अगर तुम्हारे बाद कोई उम्मत हुवी तो वो इनकी ऐसी ही खिदमत करेंगी जैसे तुमसे पहले कि उम्मतो कि औरते तुम्हारी खिदमत करती है ,,,
मेने पुछा ( यानी अब्दुल्लाह बिन उमर ) या रसूल्ल्लाहा ये मयासिर क्या है ? आपने फरमाया बङी बङी ज़ीने ( अल मुस्तदरक हाकिम हदीस नम्बर 8346)
हदीस मे लफ्ज़ मयासिर आया कि मयासिर पर सवार होकर आएगी ,,
अगर मयासिर कोई काँमन सवारी होती उस वक्त तो हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर हेरत से ये ना पुछते कि मयासिर क्या है ,,
लिहाज़ा मयासिर लफ्ज़ सहाबा ने पहली बार सुना इसलिये पुछा
मयासिर का आम तर्जुमा ज़ीन का किया गया है और ज़ीन उसको कहते है जो घोङो कि नंगी पिठ पर सीट नुमा बांधा जाता है ,,उस ज़ीन की जैसे बङी बङी सीट पर सवार होकर आएगे ,,
चुंकी बशारत ए इशारा है उस दौर मे कार बाईक थी नही तो नबी ए करीम ने उसकी हकिकत ब्यान ना फरमाई वर्ना अपकी निगाहे नबुवत तो ये देख रही थी
घोङे कि ज़ीन का फोटो देखिये
फिर बाईक का फोटो देखिये
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