दहेज़ का शरीयत मे इसका क्या हुक्म
(क्या दहेज़ एक लानत है ? और शरीयत मे इसका क्या हुक्म है ? )
दहेज के बारे मे कोई लानत भेज रहा है तो कोई औलमा को कोस रहा है ,,
लेकिन असल क्या है इसका क्या हुक्म है ? ये कोई नही बता रहा है ,,
सुनो ना दहेज देना हराम है
और लेना भी हलाल नही है
क्योकि दहेज़ पर लङके का या लङके के घर वालो का कोई हक ही नही है
इसलिये ना वो लेने के हकदार है
ना मना करने के हकदार है
बल्कि ये एक बाप बेटी के बिच का मामला है
एक बाप चाहे तो अपनी बेटी को चार बर्तन दहेज दे या चालिस बर्तन या कुछ भी ना दे
ये उन दौनो का मामला है
आप मना करने वाले कौन ? और लेने वाले कौन ? ये बाप बेटी के बिच का मसला है
हाँ लङकी वालो से कुछ भी चिज़ चाहे वो एक सुई भी क्यो ना मांगना हराम है ,,डिमांड करना हराम है
हदीस ए मुबारका है कि 👇👇
حَدَّثَنَا يَحْيَى بْنُ بُكَيْرٍ ، حَدَّثَنَا اللَّيْثُ ، عَنْ عُبَيْدِ اللَّهِ بْنِ أَبِي جَعْفَرٍ , قَالَ : سَمِعْتُ حَمْزَةَ بْنَ عَبْدِ اللَّهِ بْنِ عُمَرَ , قَالَ : سَمِعْتُ عَبْدَ اللَّهِ بْنَ عُمَرَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ , قَالَ : قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ : مَا يَزَالُ الرَّجُلُ يَسْأَلُ النَّاسَ حَتَّى يَأْتِيَ يَوْمَ الْقِيَامَةِ لَيْسَ فِي وَجْهِهِ مُزْعَةُ لَحْمٍ
यानी सनद के बाद - आदमी हमेशा लोगो के सामने हाथ फेलाते रहता है यहा तक कि कियामत मे वो इस तरह उठेगा कि उसके चेहरे पर ज़र्रा बराबर भी गोश्त ना होगा ( बुखारी शरीफ हदीस नम्बर 1474,)
तो इस हदीस कि वईद से मालुम पङता है कि किसी से नाजायज़ कुछ चिज़ मांगना किस कदर बुरा है
और फिर जबरदस्ती प्रेशर व टार्चर करके लङकि वालो से मांगना तो किस कदर सख्त हराम होगा ये आप लोग खुद अन्दाज़ा कर ले ,,ईमाम बुखारी रहमतुल्लाह अलैह ने इस मोजु पर पुरा एक बाब कायम किया है ।
Or bhi contents add Kijiye.
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