कितनी मोहब्बत है अल्लाह को अपने मेहबुब सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम से

(कितनी मोहब्बत है अल्लाह को अपने मेहबुब सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम से ) 

जब कुरान नाज़िल होना शुरु हुवा और हजरत जिबराईल अलहीस्सलाम वही लाते तो आप सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम जल्दी जल्दी उस वही को अपनी जु़बाने पाक से दोहराते ताकी कुरान को हिफ्ज़ कर ले 
आप बहुत मशक्कत करते कुरान को मेहफुज़ करने के लिये 

तो अल्लाह को अपने मेहबुब कि ये तकलिफ ग्वारा ना हुवी अल्लाह ने फोरन आयते करीमा नाज़िल फरमा दी ये वाली 👇👇
لَا تُحَرِّکۡ بِہٖ لِسَانَکَ لِتَعۡجَلَ بِہٖ 
यानी -आप अपनी जुबान को जल्दी मे हरकत ना दो याद करने के लिये ( सुराह कियामा आयत 16) 

सुब्हान अल्लाह,,किस कदर ख्याल है अल्लाह को अपने मेहबुब का ,मना फरमा दिया ज़ुबान को हरकत देने के लिये भी ताकी आपको कोई तकलिफ ना हो ,,
फिर फरमाया 👇👇
اِنَّ عَلَیۡنَا جَمۡعَہٗ  وَ  قُرۡاٰنَہٗ
यानी - बेशक इसका जमा करना और पढाना हमारे जिम्मे है ( सुराह कियामा आयत 17 ) 

यानी ऐ मेहबुब आप तकलिफ ना उठाए हम इस कुरान को आपके सिने मे जमा कर देंगे और आपकी जुबाने मुबारक पर इसकी आयतो कि तिलावत भी जारी फरमा देंगे ।

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