परेशानियो के अज़कार व दुआई कलेमात कि सिरिज़ ।

(परेशानियो के अज़कार व दुआई कलेमात कि सिरिज़ ) 
सीरीज 1

परेशानियो के अज़कार व दुआई कलेमात व ज़िक्र बताने से पहले अव्वल उसके कुछ आदाब जान लिजिये 
कोई भी अज़कार या दुआई कलेमात व विर्दो वज़ाईफ के यु तो कयी उसुल होते है हम उसकी तफसिर मे नही जाना चाहते बस चन्द आदाब व उसुल बताते चलते है 
अव्वल तो ये जान लिजिये कि हर आमाल दवाम मांगते है यानी रेगूलरटी मांगते ,,ये ना हो कि कुछ दिन किया फिर छोङ दिया ,,होता ये है कि जब नुर के बादल आने लगते है तब तक इन्सान उस आमाल को छोङ देता है ये नही होना चाहिये 

दुसरी बात ,,दुआई कलेमात के लिये उम्मिद पक्कि होना चाहीये अपने रब की करीबी का तसव्वुर होना चाहीये और ये हकिकत भी है चुनांचे कुरान इरशाद फरमाता है 👇👇
فَاِنِّیۡ قَرِیۡبٌ
यानी - मै करीब हु ,
तो अल्लाह करीब है हमारे और हमारी दुआओ को 👇
اُجِیۡبُ دَعۡوَۃَ الدَّاعِ  اِذَا دَعَانِ
यानी - दुआ कुबुल करता हु पुकारने वाले कि ,,(सुराह बकराह आयत 186)
तो वो दुआ कुबुल करता है इस पर ईमान व अकिदा पक्का होना चाहीये 

और जब दुआ अज़कार करे तो ध्यान ईधर उधर ना हो दिल लगाकर दुआ मांगे कोई ज़रुरी नही है कि सौ दौ सौ तस्बिह पढने कि चन्द तस्बिह पढे लेकिन दिल जमाई के साथ पढे जैसा कि कुरान का फरमान है 👇👇
وَ اذۡکُرِ اسۡمَ رَبِّکَ وَ تَبَتَّلۡ  اِلَیۡہِ تَبۡتِیۡلًا
यानी - और अपने रब का नाम का ज़िक्र कर सबसे टुट कर उसी का हो जा ( सुराह मुज़म्मिल आयत 8)

तो समझ गये ना ?

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