उम्मत किसे कहते है, फिर्का किसे कहते है?

(उम्मत किसे कहते है, फिर्का किसे कहते है? )

उम्मत लफ्ज़ आपने क ई बार सुना होगा और कभी ये सवाल भी उभरा होगा कि उम्मत कहते किसको है? क्या तमाम इन्सान को उम्मत कहते है?  क्या सभी धर्म के लोगो को उम्मत का लकब मिला है?  
नही हरगिज़ नही उम्मत लफ्ज़ के मायने होते है अनुयायी, दावेदार, उम्मीदवार, ,,इस्लाम से पहले दुनिया मे क ई मज़ाहिब हुवे और अब भी है,,हुजुर सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम को अल्लाह ने तमाम इन्सानो कि रहनुमाई के लिये भेजा, ,और तमाम ईन्सानो को एक उम्मत बनाने के लिये भेजा, ,यानी इस्लाम के पेरोकार बनाने के लिये भेजा, ,,लिहाज़ा जो इस्लाम पर ईमान लाए और उसके दावेदार, अनुयाई ,उम्मीदवार हुवे उसे उम्मत का लकब मिला, ,,चुनांचे एहले ईमान को ही उम्मत कहाँ गया है, ,
यही वजह है कि जब अल्लाह पुरी दुनिया के लोगो को कुरान मे मुखातिब करता है तो "ऐ लोगो " कह कर मुखातिब करता है और जब इस्लाम के मानने वालो को मुखातिब करता है " ए ईमान वालो " फरमाकर मुखातिब करता है, ,,
लिहाज़ा एहले ईमान ही उम्मत के लकब के हकदार है, ,
यही वजह है कि हुजुर सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम अपनी दुआओ मे उम्मत कि बख्शीश मांगा करते थे, ,
ज़ाहिर सी बात है बख्शीश ईमान वालो के लिये मांगी जाती है गैर मुस्लिमों के लिये नही ,,,गैर मुस्लिमों के लिये तो ईमान मांगा जाता है, ,
एक हदीस शरीफ का मफहुम है जो बङी मश्हुर है कि - अस्हाबे किराम ने हुजुर से पुछा या रसूलुल्लाह मेहशर मे सभी लोग होंगे यहाँ तक के बहुत सी उम्मते भी होंगी मुसा अलैहिस्सलाम कि ,इसा अलैहिस्सलाम कि और दिगर बहुत सी उम्मत होगी तो आप अपनी उम्मत को कैसे पहचानेंगे?  हुजुर ने जवाब दिया ये बताओ क्या काले घोङो मे सफेद घोङो को पहचानना मुश्किल होता है?  अस्हाबे किराम ने कहाँ जी नही ,
तो हुजुर ने फरमाया बस ऐसे ही मेरी उम्मत के वो आजा जहाँ जहाँ वुजू का पानी पहुचता है वो चमक रहे होंगे जिससे मै अपनी उम्मत को पहचान लुंगा ,,(हदीस का मफहुम है लफ्ज़ थोङे आगे पिछे होंगे)
तो इस हदीस से भी पता चला कि उम्मत सिर्फ एहले ईस्लाम ही है गैर मुस्लिम नही क्योकि गैर मुस्लिम तो वुजू बनाता भी नही ,,,
और कुरान कि आयत का मफहुम है " तुम बेहतरीन उम्मत हो जो लोगो को बुराई से रोकते हो और अच्छाई का हुक्म देते हो " 
लिहाज़ा इस आयत मे भी अल्लाह ने एहले ईमान को ही उम्मत कहाँ ,क्योकि गैर मुस्लिमों को तो अल्लाह बेहतरीन नही कहेगा और काफिर बुराई से रोकने वाला भी नही होता ,,
और दुसरी बात आयत मे कुनतुम खैरा उम्मती का लफ्ज़ ईमान वालो के लिये मुखातिब किया और उसके बाद उखरीजत लिन्नास का लफ्ज़ आया जिसका मतलब होता है जो लोगो को, ,
तो पता ये चला कि इस्लाम के उम्मीदवार दावेदार को उम्मत कहते है, ,
अब इस्लाम का दावा करने के बाद उसका उम्मीदवार व उसका अनुयाई बनने के बाद इस्लामी अकाईद जो कुरान व हदीस से मुखतलिफ चले जाए, ,इस्लाम के मानने वालो के बिच इस्लामी अकाईद मे फर्क आ जाए और उस फर्क को लेकर आपस मे बट जाने को फिर्का कहते है
अब जिसके अकाईद अल्लाह के रसूल व आपके सहाबा के तरीके पर ना हो वो बातिल फिर्का और जिसके अकाईद हुजुर सल्लल्लाहु अलैह व सल्लम व आपके अस्हाब के तरीके पर हो वो हक फिर्का ,,
यही वजह है कि हुजुर ने फरमाया कि मेरी उम्मत 73 फिर्को मे तकसिम हो जाएगी, ,
ये नही फतमाया कि तमाम लोग 73 फिर्को मे तकसिम हो जाएगे l

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