नबी ए करीम ﷺ का औ़रतों से बैअ़्त लेना
नबी ए करीम ﷺ का औ़रतों से बैअ़्त लेना
अल्लाह के रसूल ﷺ की ज़ौजा मोहतरमा आ़ईशा रज़िअल्लाहु अ़न्हा फ़रमाती हैं: ईमान वाली औ़रतें जब अल्लाह के रसूल ﷺ के पास हिज़्रत कर के आती थीं तो अल्लाह तआ़ला के इस कौल से उन का इम्तिहान होता था ।
یٰۤاَیُّہَا النَّبِیُّ اِذَا جَآءَکَ الۡمُؤۡمِنٰتُ یُبَایِعۡنَکَ عَلٰۤی اَنۡ لَّا یُشۡرِکۡنَ بِاللّٰہِ شَیۡئًا وَّ لَا یَسۡرِقۡنَ ﴿۱۲﴾
60 : سورة الممتحنة 12
(ऐ नबी, जब ईमान वाली औ़रतें आप के पास इस बात पर बैअ़्त करने के लिए आएं कि अल्लाह के साथ शिर्क नहीं करेंगी, चोरी नहीं करेंगी, ज़िना नहीं करेंगी ...)
आख़ीर आयत तक ।
हज़रत आ़ईशा रज़िअल्लाहु अ़न्हा फ़रमाती हैं: ईमान वाली ख़्वातीन में से जो इन बातों का इक़रार कर लेती वो इस इम्तिहान का इक़रार कर लेती (यानी शरीयती तौर पर बैअ़्त कर लेती) । जब ये ख़्वातीन ज़बान से इन बातों का इक़रार करतीं तो अल्लाह के नबी ﷺ उन से कहते: जाओ मैं ने तुम से बैअ़्त कर ली । और अल्लाह की क़सम अल्लाह के रसूल ﷺ का हाथ कभी किसी औ़रत के हाथ से मस नहीं हुवा, आप बस कलाम ही के ज़रीये उन से बैअ़़्त किया करते थे । फ़रमाती हैं: अल्लाह की क़सम आप ﷺ ख़्वातीन से उन्हीं बातों पर बैअ़्त लेते जिन का ख़ुद अल्लाह तआ़ला ने हुक्म दिया है और आप की हथेली कभी किसी औ़रत की हथेली से मस ना हुई । जब आप उन से बैअ़्त कर लेते तो फ़रमाते: मैं ने तुम से क़लाम ही से बैअ़्त कर ली ।
(बुखारी: अत्तलाक़ 5288)
(मुस्लिम: अल ईमारा 3470) अ़ल्फ़ाज मुस्लिम के हैं ।
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इल्म हासिल करना हर एक मुसलमान मर्द-और-औरत पर फर्ज़ हैं
(सुनन्ऩ इब्ने माजा ज़िल्द 1, हदीस 224)islamic batein786
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