मेराज_की_हिकमत
आप ﷺ को मेराज शरीफ कराने की हिकमतें और राज़ क्या थे?
तो सुनिए कि......बुलंद तरीन मक़ाम पर रहने वाले फरिश्तों में एक हज़ार साल तक चार मसअलों में बहस होती रही और उन्होंने मिल कर उनके हल करने की पूरी कोशिश की लेकिन कोई हल ना निकाल सके और जब रसूलुल्लाह ﷺ ने नबूव्वत का ऐलान किया तो उन्हे यक़ीन हो गया कि इन्हें सिर्फ आप ﷺ ही हल फरमा सकेंगे-
चुनांचा वो बारगाहे इलाही में इसी मक़सद के लिए गिड़गिड़ाए जिस पर अल्लाह तआला ने अपने हबीब ﷺ को ऐसे मक़ाम पर बुलाया कि दोनों के दरमियान कमान के दो किनारों जितना या उससे भी कम फासला रह गया तो फिर उस बंदे के ज़िम्मे जो भी कुछ लगाना था लगा दिया-
चुनांचा उसमें एक बात वो थी जो खुद आप ﷺ ही ने बता दी कि मैंने अपने परवरदिगार को निहायत आला सूरत में देखा तो उसने मुझसे पूछा कि:
"ऐ मुहम्मद ﷺ ये फरिश्ते किस बहस में उलझे हुए हैं?"
मैंने अर्ज़ की कि:
"इसे तू ही जानता है-"
चुनांचा उसने अपना दस्ते क़ुदरत मेरे दोनों कांधों के दरमियान रखा जिसकी ठंडक मैंने अपने दोनों पिस्तानों के दरमियान महसूस की फिर इरशाद हुआ कि:
"ऐ मुहम्मद ﷺ क्या जानते हो कि ये फरिश्ते किस बहस में उलझे हुए हैं?"
अब मैंने अर्ज़ की कि:
"हां ! ये गुनाह मिटाने वाली..निजात देने वाली...मर्तबे बुलंद करने वाली और तबाह करने वाली चीज़ों की पहचान की अस्ल हक़ीक़त जानने में उलझे हुए हैं-"
जिस पर उसने फरमाया कि:
"ऐ मुहम्मद ﷺ तूने ठीक बताया-"
फिर फरिश्तों से इरशाद फ़रमाया कि:
"ऐ फरिश्तो ! आओ और सुनो कि तुम्हे इन मुश्किल सवालों को हल करने वाले मिल गए हैं तो इनसे उनका हल पूछ लो-"
चुनांचा सबसे पहले हज़रत इस्राफील علیہ السلام ने पूछा:
"या रसूलल्लाह ﷺ ये कफ्फारात क्या है?"
आप ﷺ ने फ़रमाया कि:
"मुश्किलात में भी वज़ू के दौरान अच्छी तरह पानी बहाना..अपने क़दमों से चल कर जमाअत से जा मिलना और एक नमाज़ से फारिग होते ही अगली नमाज़ का इंतज़ार करना-"
फिर हज़रत मीकाइल علیہ السلام ने पूछा कि:
"या रसूलल्लाह ﷺ दर्जात क्या होते हैं?"
आप ﷺ ने फ़रमाया:
"लोगों को खाना खिलाना..सलाम कहना आम कर देना और ऐसे वक़्त में नमाज़ पढ़ना जब बाक़ी लोग सोये हों-"
फिर हज़रत जिब्राईल علیہ السلام ने अर्ज़ की कि:
"या रसूलल्लाह ﷺ मुन्जियात (यानी निजात दिलाने वाली चीज़ें) कौन सी चीज़ें हैं?"
आप ﷺ ने फ़रमाया कि:
"अंदर ही अंदर और सबके सामने अल्लाह से डरते रहना...फक़ीरी और अमीरी की हालत में दरमियाने तरीक़े से बर्ताव करना और गुस्से और खुशी के मौक़े पर इंसाफ करना-"
फिर हज़रत इज़्राईल علیہ السلام ने अर्ज़ की कि:
"या रसूलल्लाह ﷺ मुहलिकात (यानी बर्बाद करने वाली चीज़ें) कौन कौन सी है?"
आप ﷺ ने फ़रमाया कि:
"लालच के पीछे पड़ना... ख्वाहिशों में लगे रहना और इंसानों का अपने आप को सबसे बड़ा समझना-"
इस पर अल्लाह तआला ने फ़रमाया कि:
"इन्होंने हर बात ठीक ठीक बता दी है..!!
(سُنن ترمذی،کتاب التفسِیر،باب ومن سورۃ ص،جِلد: ٥،صفحہ: ١٥٩، رقم الحدیث: ٣٢۴٥ )
( شرح قصِیدہ بُردہ شریف: ۴٥٥ تا ۴٥۷ )
ماشاء اللہ
ReplyDelete