मेरा यह लाडला मेरी उम्मत के हाथ से शहीद होगा -इमाम हुसैन रजि।
(मेरा यह लाडला मेरी उम्मत के हाथ से शहीद होगा)
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👉यूं तो हुज़ूर ﷺ को अपने तमाम ही उम्मतियों से मुहब्बत थी लेकिन आप अपनी बेटी हज़रत फ़ातिमा रज़ि०) को बहुत चाहते थे हज़रत फ़ातिमा आपकी सबसे छोटी बेटी थीं।
हज़रत मौला अली शेरे खुदा करमल्लाहु वजहुल करीम' को हुज़ूर ﷺ ने ही पाला था उनसे हुज़ूर ﷺ बेटे की तरह मुहब्बत करते थे।
आपने हज़रत फ़ातिमा रज़ि०) की शादी हज़रत मौला अली शेरे खुदा करमल्लाहु वजहुल करीम' से की थी उनके पेट से हज़रत मौला अली शेरे खुदा करमल्लाहु वजहुल करीम' के दो बच्चे हुए एक हज़रत हसन और दूसरे हज़रत हुसैन रज़ि०) इन दोनों ही बेटों की पैदाइश पर हुज़ूर ﷺ बेहद खुश हुए थे लेकिन हज़रत हुसैन रज़ि०) की पैदाइश के वक़्त हुज़ूर ﷺ का चेहरा यकायक फीका पड़ गया और आंखों में आंसू छलछला उठे।
हज़रत मौला अली रज़ि०) ने आप के रोने की वजह पूछी तो आपने फ़रमाया ऐ अबू तुराब! मुझे जिब्राईल' ने खबर दी है कि मेरा यह लाडला मेरी उम्मत के हाथ से शहीद होगा।
यह सुन कर हज़रत अली रज़ि०) की आंखें भी भीग आयी हज़रत फ़ातिमा रज़ि०) को जब यह खबर मिली तो उनका दिल बैठने लगा वह हुज़ूर ﷺ के पास तशरीफ़ लायीं हुज़ूर ﷺ अब तक गम-गीन बैठे थे उन्होंने आते ही पूछा_
अब्बा जान! क्या यह मेरा लाल शहीद कर दिया जाएगा और क्या उस वक़्त हम लोग न होंगे?
आप ﷺ ने बताया उस वक़्त न हम होंगे, न अली होंगे, और न तुम होगी, बल्कि हसन भी न होगा।
हज़रत फ़ातिमा रज़ि०) बेक़रार हो उठी पूछा_
मेरे बच्चा किस क़ुसूर में शहीद होगा?
हक़ व सदाक़त पर शहीद होगा इस्लाम पर अपनी जान क़ुर्बान करेगा।
इस्लाम पर? जब तो मेरा ग़म बहुत हल्का हो गया।
हज़रत इमाम हुसैन अपने भाई हसन रज़ि०) से सिर्फ़ छ: महीने और सात दिन छोटे थे।
📗मारका-ए-करबला' पेज नं 12/13)
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👉हज़रते सय्यदुना याहया अलैहिस्सलाम) और इमामे आली मकाम इमामे हुसैन रज़ियल्लाहु तआला अन्हु) के इलावा कोई ऐसा बच्चा जिंदा न रहा जिस की मुद्दते हमल छः माह हुई हो।
(वल्लाहु तआला आलमू व रसूलहु ﷺ..?
📚शवाहिदुनुबूवत' इमाम हुसैन की करामात' सफह 228/4)
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