करामात ए गौसे आज़म..

बगदाद की जामा मस्जिद में हजरत शैख़ अब्दुल कादिर जिलानी (गौसे पाक)अलैह रहमा  मस्जिद की मिंबर पर तशरीफ फरमा होकर वाज़(बयान)फरमा रहे थे उस वाज़ में कई हज़ार लोग आपसे फ़ैजी-याब हो रहे थे मिंबर के करीब आपके मुरीद शैख़ अली इब्ने हैती रहमतुल्लाह बैठे हुवे थे. शैख़ अली इब्ने हैती काफी परेशान थे आपको जिस्मानी हाजात(पेशाब या दीगर जिस्मानी मसाइल) से परेशानी हो रही थी 

शैख़ अली इब्ने हैती रहमतुल्लाह ख्याल ही कर रहे थे अगर मै उठ कर हाजात के लिए चला जाऊ तो पिराने पीर दस्तगीर के सामने बे अदबी होंगी कितना अच्छा होता गर शैख़ अब्दुल कादिर अलैह रहमा खुद इजाजत दे और हाजत पूरी हो इतना आप सोच ही रहे थे आप देखते हैं शैख़ अब्दुल कादिर अलैह रहमा मिंबर से उतर कर शैख़ अली इब्ने हैती रहमतुल्लाह के करीब आते हैं और उनके उपर अपनी चादर ड़ालते हैं

 

शैख़ अली इब्ने हैती अपने उपर से चादर हटाते हैं आपने खुद को वीरान जंगल में पाते हैं आपके करीब इक नदी बह रही हैं नदी किनारे आपने इक पेड़ पर कुछ चीज़े टांग दी जिसमे चाबीओ का गुच्छा भी था फिर आपने जिस्मानी हाजत पूरी की और वजू बनाया वजू मुक्मल करते ही आपके जिस्म पर चादर खीच ली गई आपने खुद को मस्जिद में उसी जगह बैठा पाया और वजू के हाथ पाँव गिले पाए आप समझ गये ये मेरे पीर शैख़ अब्दुल कादिर अलैह रहमा की करामात हैं !

वाज़ खत्म हुवा और जुमा अदा किया गया !

अब आगे कुछ साल बाद मुरीदो का काफला सफर के लिए निकला जिसमे शैख़ अली इब्ने हैती रहमतुल्लाह भी शामिल थे और उसी वीरान जंगल से सफर हुवा रास्ते में नदी भी आगई शैख़ अली इब्ने हैती ने फरमाया रुको यहा पर मै पहले भी आ चुका हु और मेरी इक चीज़ यहा पर रह गई थी और आपने उस चावी के गुच्छे पर नजर डाली. आपने पाया चाबी का गुच्छा जिस हाल में रख्खा था उसी हाल में पेड़ पर लटका हैं !
फिर आपने वो करामात काफले वालो को बड़े ही अकीदत से सुनाई

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