जैसा कि बोर्ड पर लिखा हुआ है यह वह मुबारक पेड़ है जिसके साये मे #हज़रत_मोहम्मदﷺ ने "पनाह" ली ओर #आराम_मुबारक किया था..इसका साया #ठंडा है ओर इसकी #हवाएँ सिर्फ #पेड़_के_फ़ासले तक ही महदूद है..❤
(मिलादुन्नबी सल्लल्लाहू अलैह व सल्लम के दिन खुब सलाम ही सलाम भेजो क्योकि कुरान कहता है 👇👇 وَسَلَامٌ عَلَيْهِ يَوْمَ وُلِدَ وَيَوْمَ يَمُوتُ وَيَوْمَ يُبْعَثُ حَيًّا और सलामती है उसपर जिस दिन पैदा हुआ और जिस दिन वफात होगी और जिस दिन उठाया जाएगा( सुराह मरयम आयत 15) अल्लाह ने फरमाया जिस दिन यहया अलैहीस्सलाम कि विलादत व वफात हुवी उस दिन सलामती हो यानी नबियो कि मिलाद पर भी सलाम और वफात पर भी सलाम यही इरशाद हजरत ईसा अलैहीस्सलाम के ताल्लुक से भी हुवा 👇👇 وَالسَّلَامُ عَلَيَّ يَوْمَ وُلِدْتُ وَيَوْمَ أَمُوتُ وَيَوْمَ أُبْعَثُ حَيًّا और वही सलामती मुझ पर जिस दिन मैं पैदा हुआ और जिस दिन वफात पाऊ और जिस दिन ज़िन्दा उठाया जाऊं ( सुराह मरयम आयत 33) तो सलाम ही सलाम है नबियो कि विलादत पर वफात पर तो क्यो ना सलाम नबीयो के सरदार हुजुर रहमते आलम सल्लल्लाहू अलैह व सल्लम पर
"शिया ईदे गदीर क्यूं मनाते हैं? अहलेसुन्नत का ईदे गदीर मनाना जाइज़ है या नहीं? ईदे गदीर सबसे पहले किसने मनाई?? हवालाजात की रोशनी में मुलाहीज़ा फरमाएं👇🏻)) "ईदे गदीर मनाना जाईज़ है या नहीं" ईदे गदीर मनाना चाहिए या नहीं? ओर ईदे गदीर की शरई हैसियत क्या है? अल जवाब________ ईदे गदीर अहले तशई के लिए ईदे अकबर है। क्योंकि वो ये मानते है के इस दिन हज़रत अलिय्युल मुर्तजा़ رضي الله عنه को खिलाफते बिला फसल मिली थी। या इसलिए भी हो सकता है के इसी दिन हज़रत उस्माने गनी رضي الله عنه की शहादत हुई थी। लेकिन असल वजह यही है के वो हज़रत अलिय्युल मुर्तजा़ رضي الله عنه को खलीफाए बिला फसल मानते हैं। "ईदे गदीर की इब्तिदा सबसे पहले मुइजुद्दोला बिन अब्विया ने रवाफिज़ के साथ मिलकर 18 जुलहज्ज 252 सिने हिजरी में बगदाद से शुरू कराई" "जैसा के अल्बीदायह वन्नहायह में हाफ़िज़ इब्ने कसीर लिखते हैं👇🏻" [ ثم دخلت سنة ثنتين و ثلاثهاىٔة ...... و فى عشر ذى الحجة منها أمر معزة الدولة بن بويه باظهار الزينة فى بغداد و ان تفتح الأسواق بالليل كما فى الأعياد ، وان تضرب الدباب و البوقات ، و ا...
एक नौजवान कहता है: "मेरा किसी बात पर अपने वालिद से कुछ ऐसा इख्तिलाफ हुआ कि हमारी आवाज़ें ही ऊंची हो गईं- मेरे हाथ में कुछ स्टडी बुक्स थीं जो मैंने गुस्से में उनके सामने मेज़ पर पटखे और दरवाज़ा धड़ाम से बंद करते हुए अपने कमरे में आ गया-" बिस्तर पर गिर कर होने वाली इस बहस पर ऐसा दिमाग उलझा कि नींद ही उड़ गई- सुबह यूनिवर्सिटी गया तो भी दिमाग कल वाले वाक़िए पर अटका रहा- शर्मिंदगी और झुंझलाहट के मारे दोपहर तक सब्र जवाब दे गया- मैंने मोबाइल निकाला और अपने अब्बा जी को यूं पैगाम भेजा: "मैंने कहावत सुन रखी है कि पांव का तलवा पांव के ऊपर के हिस्से से ज़्यादा नर्म होता है- घर आ रहा हूं क़दम बोसी करने दीजिएगा ताकि कहावत की तस्दीक़ हो सके-" मैं जब घर पहुंचा तो अब्बा जी सहन में खड़े मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे- अपनी नमनाक आंखों से मुझे गले से लगाया और कहा: "क़दम बोसी की तो मैं तुम्हें इजाज़त नहीं देता ताहम कहावत बिल्कुल सच्ची है क्यूंकि जब तुम छोटे से थे तो मैं खुद जब तेरे पांव चूमा करता था तो मुझे पांव के ...
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