अमल_कि_क्वालिटी अर्टिकल 3
(#अमल_कि_क्वालिटी )
जैसे कि लगातार हम अमल कि क्वालिटी पर बात करते आ रहे है और महासल यही है कि अमल कि काॅनटीटी चाहे कम हो लेकिन क्वालिटी आला से आला हो तो फिर ऊहद पहाङ के बराबर सोना खैरात करना भी एक मुठ्ठी जो अल्लाह कि राह मे खैरात करने कि बराबरी नही कर सकता जैसा कि नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैह व सल्लम ने अपने सहाबा किराम के बारे मे फरमाया 👇👇
حَدَّثَنَا آدَمُ بْنُ أَبِي إِيَاسٍ , حَدَّثَنَا شُعْبَةُ ، عَنْ الْأَعْمَشِ ، قَالَ : سَمِعْتُ ذَكْوَانَ يُحَدِّثُ ، عَنْ أَبِي سَعِيدٍ الْخُدْرِيِّ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ , قَالَ : قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ : لَا تَسُبُّوا أَصْحَابِي فَلَوْ أَنَّ أَحَدَكُمْ أَنْفَقَ مِثْلَ أُحُدٍ ذَهَبًا مَا بَلَغَ مُدَّ أَحَدِهِمْ وَلَا نَصِيفَهُ . تَابَعَهُ جَرِيرٌ , وَعَبْدُ اللَّهِ بْنُ دَاوُدَ , وَأَبُو مُعَاوِيَةَ , وَمُحَاضِرٌ ، عَنْ الْأَعْمَشِ .
यानी सनद के बाद - हुजुर नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैह व सल्लम ने फरमाया मेरे सहाबा को बुरा भला ना कहो अगर कोई शख्स ऊहद पहाङ के बराबर भी सोना खर्च कर डाले (राहे खुदा मे ) तो उन के मुठ्ठी जो खैरात करने के बराबर नही हो सकता और ना ही आधी मुठ्ठी के बराबर हो सकता है ( बुखारी शरीफ हदीस 3673)
यानी सहाबा किराम के एक मुठ्ठी जो खैरात करने कि भी कोई बराबर अज्र नही पा सकता चाहे ऊहद के बराबर सोना खर्च कर डाले
क्यो नही पा सकता ? क्योकि उनकी एक मुठ्ठी जो खैरात करने के अमल कि जो क्वालिटी थी और जिस ईमान व मोहब्बते रसूल कि जो क्वालिटी थी वो सबसे आला थी
तो बात यही वाजेह करना है कि काॅनटिटी मायने नही रखती बल्कि क्वालिटी मायने रखती है
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