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(#अमल_कि_क्वालिटी )
और उन्होने अपने को रस्सी से बांध लिया 

बुखारी शरीफ हदीस नम्बर 1150 

حَدَّثَنَا أَبُو مَعْمَرٍ ، حَدَّثَنَا عَبْدُ الْوَارِثِ ، حَدَّثَنَا عَبْدُ الْعَزِيزِ بْنُ صُهَيْبٍ ، عَنْ أَنَسِ بْنِ مَالِكٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ , قَالَ :    دَخَلَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَإِذَا حَبْلٌ مَمْدُودٌ بَيْنَ السَّارِيَتَيْنِ , فَقَالَ : مَا هَذَا الْحَبْلُ ؟ , قَالُوا : هَذَا حَبْلٌ لِزَيْنَبَ فَإِذَا فَتَرَتْ تَعَلَّقَتْ ، فَقَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ : لَا حُلُّوهُ لِيُصَلِّ أَحَدُكُمْ نَشَاطَهُ فَإِذَا فَتَرَ فَلْيَقْعُدْ    
यानी सनद के बाद - नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैह व सल्लम मस्जिद मे तशरीफ लाए तो आपकी नज़र एक रस्सी पर पढी जो दौ स्तुनो के दरमियान बंधी थी आपने पुछा ये रस्सी कैसी है ? तो लोगो ने अर्ज़ किया ये उम्मुल मोमिनिन हजरत ज़ेनब रज़ियल्लाहु अन्हा कि रस्सी है जब वो ( नमाज़ मे खङी खङी ) थक जाती है तो इससे सहारा लेती है ,,,तो नबी ए करीम ने फरमाया नही ये रस्सी नही होना चाहीये इसे खोल दो तुम मे हर शख्स को चाहीये जब तक दिल लगे नमाज़ पढे फिर थक जाए तो बैठ जाए ,,

इस हदीस से निफ्ली नमाज़ बैठकर पढने का भी सबक है और किसी तकलिफ कि वजह से खङे हिकर नमाज़ ना पढ सके तो बैठकर पढे ये भी वाजेह है दुसरी बात इन्सान को मशक्कत उठाने से रोका गया है कि गिरते पढते थकते मांदने सुस्त बेदिली से नमाज़े अदा ना करे बल्कि चाहो तो दौ रकात अदा करो लेकिन खुश दिली चुस्त फ्रेशनेस दिल जमाई ,दिल लगाकर अच्छी तरह ईबादते करो बेहतरीन क्वालिटी के साथ अदा करो 
कुछ लोग एक एक हज़ार बार तस्बिह पढते है लेकिन दिल हाज़िर नही होता बेरगबती से बस गिनती पुरी करते है ना अदब होता है ना ठिक से अलफ़ाज़ अदा होते है तो सबक है कि चाहो तो पचास अदा करो लेकिन क्वालिटी के साथ अदा करो।

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