अमल_कि_क्वालिटी अर्टिकल 7.

(#अमल_कि_क्वालिटी ) 
और निय्यत मे शैतान कि चालबाजिया 

जैसा कि हमने पिछली पोस्ट मे बताया कि अमल को क्वालिटी देने कि शुरुवात निय्यत से होती है निय्यत मे खुलुस होना ज़रुरी है यानी कोई भी अमल अल्लाह कि रज़ा के लिये हो बस यही निय्यत करना है 
चुंकी निय्यत के बाब मे तीन तरह के लोग पाए जाते है 

१) मुफसिदीन यानी फसादी जो निय्यत ही फसाद कि करते हुवे अमल करते है जैसे घर से निकलते वक्त ही उनकी निय्यत ये होती है कि मुझे मस्जिद जाते हुवे लोग देखे ताकी मुझे नमाज़ी कहे ये मुफसिदिन है यानी फसादी 

२) मुखलासिन - ये वो लोग है जिनकी निय्यत व अमल दौनो खालिस अल्लाह के लिये होती है उनको जन्नत कि तलब नही रहती बस अल्लाह का कुर्ब व दीदार ए ईलाही के तलबगार होते है जैसे हजरत राबिया बसरी या बायज़िद बुस्तामी रहमतुल्लाह अलैह जैसे बुजुर्ग और औलिया अल्लाह 

३) मुखलिसिन - ये वो लोग होते है जो अमल करने निकलते है तो रज़ा ए इलाही व सवाब के लिये ही निकलते है लेकिन बिच बिच कही नफ्स व शैतान बहका देता है और कही कही अपने को बहुत बङा नेक और दीन का काम करने वाला समझने लग जाते है कभी घमन्ड आ जाता है फिर तौबा करते है और सिधी राह चलते है फिर बहक जाते है 
तो इन तीन केटेगरी मे से शैतान उपर के दौ तबको के पास नही जाता बहकाने के लिये तिसरे के पास ही जाता है 
पता है क्यो ?

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