#आराईं कौन कौन हैं ?
#आराईं कौन कौन हैं ?
आराईं एक ज़ात ( caste ) है इस ज़ात के लोग भारत पाक में कसीरा तादाद में रहते हैं
आले ज़ोरईंन कि आमद 1200 क़ब्ल अज़ मसीह है ऐन या राईन मुहिब्बुल अदया यानी कहतानी उन नस्ल खानदान बनी बनू हमीर के एक उलुल अज़्म और बा हिम्मत शहज़ादे मसर्रत ज़ियादुल जहूर की औलाद से हैं ये खानदान यमन में बादशाही करता था बनू हमीर कहतान से सातवीं पुश्त में था कहतान के बेटे का नाम बअसर था जो हज़रत इब्राहीम का हम असर था प्रीम ने जब एक कलआ ज्बले ज़ोरईन तामीर किया तो उसका नाम प्रीम ज़ोरईंन पड़ गया प्रीम ज़ोरईन को आराईं का मोरिस ए आला तसव्वुर किया जाता है इसी वजा से इन्हें आले ज़ोरईन भी कहा जाता है प्रीम ज़ोरईन की औलाद से हज़रत सहाबिये रसूल अलैहिस्सस्लाम हज़रत नोमान ज़ोरईन हैं जिन्होंने 632 ईसबी में हज़रत रसूले पाक का दावत नामा पढ़ कर इस्लाम कुबूल कर लिया था कुछ रिवायात के हिसाब से आराईं क़ौम का शजरा हज़रत फ़ारूके आज़म से मिलता है इसी निसबत से कुछ आराईं फ़ारूक़ी भी कहलाते हैं
आराईं वो अफ़राद हैं जो इस्लामी जंगो में झंडों की हिफाज़त पे मामूर होते थे इस फतेह के निशान वाले झंडे का नाम आराइया होता था आराईं क़बीले के मशहूर सरदार शैख़ सलीम राई हैं जिन्होंने हज़रत सलमान फारसी से दीनी उलूम और फ़ैज़ हांसिल किया लोग इनके पास फैसले करवाने आते थे शैख़ सलीम राई के बेटे हबीब राई अपने वक़्त के वो बुज़ुर्ग थे जिन्होंने शौहदाए करबला की तजहीज़ो तदफीन की थी शैख हबीब राई अलैहिर्रहमा के फ़रज़न्द शैख हलीम राई भी अज़ीम हस्ती हैं जिन्होंने मुहम्मद बिन कासिम बिन अकील के साथ राजा दाहिर की फौज का मुकाबला किया
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