यक़ीनन ख़िलाफ़त ज़रूर क़ायम होगी 🏴
🏴 यक़ीनन ख़िलाफ़त ज़रूर क़ायम होगी 🏴
आ़लिमे 'मा कान व मा यकून्' आक़ा (ﷺ 💚) ने इरशाद फ़रमाया:
"تَكُونُ النُّبُوَّةُ فِيكُمْ مَا شَاءَ اللهُ أَنْ تَكُونَ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ أَنْ يَرْفَعَهَا، ثُمَّ تَكُونُ خِلَافَةٌ عَلَى مِنْهَاجِ النُّبُوَّةِ، فَتَكُونُ مَا شَاءَ اللهُ أَنْ تَكُونَ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ اللهُ أَنْ يَرْفَعَهَا، ثُمَّ تَكُونُ مُلْكًا عَاضًّا، فَيَكُونُ مَا شَاءَ اللهُ أَنْ يَكُونَ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ أَنْ يَرْفَعَهَا، ثُمَّ تَكُونُ مُلْكًا جَبْرِيَّةً، فَتَكُونُ مَا شَاءَ اللهُ أَنْ تَكُونَ، ثُمَّ يَرْفَعُهَا إِذَا شَاءَ أَنْ يَرْفَعَهَا، ثُمَّ تَكُونُ خِلَافَةً عَلَى مِنْهَاجِ نُبُوَّةٍ"، ثُمَّ سَكَتَ."
"तुम्हारे दरमियान नुबुव्वत बाक़ी रहेगी, जब तक अल्लाह चाहेगा, फिर उसे उठा लेगा, जब उठाना चाहेगा; फिर ख़िलाफ़ते राशिदह होगी, वो तब तक बाक़ी रहेगी जब तक अल्लाह चाहेगा, फिर उसे (भी) उठा लेगा, जब उठाना चाहेगा; फिर काट डालने वाली हुकूमत होगी, वो तब तक बाक़ी रहेगी जब तक अल्लाह चाहेगा, फिर उसे (भी) उठा लेगा, जब उठाना चाहेगा; फिर ज़ोर-ज़बरदस्ती वाली हुकूमत होगी, वो तब तक बाक़ी रहेगी जब तक अल्लाह चाहेगा, फिर उसे (भी) उठा लेगा, जब उसे उठाना चाहेगा; फिर (आख़िर में) नुबुव्वत के तरीक़े पर खिलाफ़त (दुबारा) क़ायम होगी", फिर रावी (या आक़ा ﷺ) ख़ामोश हो गए."
📙मुस्नद [लिल् इमाम अह़मद (d. 241 हि.)], ह़दीस न. 18406, जिल्द न. 30 सफ़ा न. 355, पब्लिकेशन: मुअस्ससतुर् रिसालह (बेरूत), फ़र्स्ट एडीशन, 1421 हि. / 2001 ई.
यानी दौरे नुबुव्वत से क़ियामत तक दुनिया में होने वाली हुकूमतें पांच तरह की होंगी:
1. निज़ामे नुबुव्वत,
2. निज़ामे ख़िलाफ़ते राशिदह (नुबुव्वत ही के तरीक़े पर),
3. निज़ामे काट-मार कि जो ज़िंदा बचा वही बादशाह रहा,
इन तीनों तरीक़ों का ज़माना गुज़र चुका है;
इस वक़्त जो दौर है वो है चौथे तरीक़े का:
4. 'मुल्कन् जब्-रिय्यन्' यानी जोर-ज़बरदस्ती की हुकूमत,
इस निज़ाम का इख़्तिताम भी क़रीब है, इन्-शा अल्लाह!
आख़िर में वही होगा जो शुरू में था:
5. 'ख़िलाफ़तन् अ़ला मिन्हाजिन् नुबुव्वह'
यानी: नुबुव्वत ही के तरीक़े पर फिर से खिलाफ़त क़ायम होगी. ये क़ियामत के क़रीब सबसे आख़िरी दौर होगा, जब ख़लीफ़तुल्लाहिल् महदी (रद़ियल्लाहु अ़न्हु) पूरे जाहो जलाल के साथ रूनुमा होंगे, इन्-शा अल्लाह!
फिर मुसलमानों की बेबसी दूर होगी, उनके दर्द का इलाज होगा. फ़िलीस्तीन, कश्मीर, यमन, सीरिया वग़ैरह के बेबसों की आहें कुफ़्फ़ार पर अ़ज़ाब बनकर टूटेंगी.
'Israel' का 'Greater Israel' का सपना, 'Greater Graveyard' बनकर पूरा होगा, और 'Israel' अंजाम के तौर पर 'israHell' बन जाएगा.
इन्-शा अल्लाह!
Comments
Post a Comment