दुनिया_की_सब_पुरानी_चालू_यूनिवर्सिटी

#दुनिया_की_सब_पुरानी_चालू_यूनिवर्सिटी

यूनेस्को और गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के मुताबिक़ मोरक्को के शहर फ़ास(fez) में स्थित अल क़ारावईन यूनिवर्सिटी दुनिया की सब से पुरानी यूनिवर्सिटी है जो आज भी चल रही है.

अल क़ारावईन यूनिवर्सिटी 859 ईस्वी में फातिमा अल फेहरी ने क़ायम की थी. फातिमा, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहाबी अक़बा बिन रबी (RA) की औलाद में थीं. फेहर बिन मालिक तमाम मक्के में रहने वालों के पूर्वज थे इन्हीं का लक़ब क़ुरैश था जिसकी वजह से सभी मक्के के लोग क़ुरैशी कहलाते थे. कुछ लोग क़ुरैशी की जगह फेहरी भी लगाते थे. 

फातिमा ट्यूनीशिया के शहर क़ैरावान में पैदा हुईं. इसी के नाम पर उन्होने अपने मदरसे का नाम क़रवाईन (madrasa tul qarawaeen) रखा. बाद में जब जब इदरीसी सल्तनत ने अपनी राजधानी फास को बनाया तो फातिमा अपने खानदान के साथ यहां आ गयीं. उनके वालिद मुहम्मद फेहरी एक बड़े व्यापारी थे. वालिद की वफ़ात के बाद फातिमा ने अपने हिस्से की तमाम जायदाद से एक मदरसा क़ायम किया जबकि उनकी छोटी बहन मरियम फेहरी ने इसी मदरसे से मिला कर एक मस्जिद तामीर की जिसमे 20 हज़ार से ज़्यादा लोग एक साथ नमाज़ अदा कर सकते थे.

शुरू में ये यूनिवर्सिटी मदरसे के नाम से जानी थी. इसमें सिर्फ इस्लामी एजुकेशन दी जाती थी. रफ्ता रफ्ता इसमें तमाम सब्जेक्ट पढ़ाए जाने लगे.

यूनानी फ़लसफ़े को दुनिया में आम करने वाले इब्ने रुश्द और मॉडर्न हिस्ट्री के इमाम इब्ने खलदून इस यूनिवर्सिटी से ही ताल्लुक़ रखते हैं. 

यूनेस्को के मुताबिक अल क़रावईन यूनिवर्सिटी दुनिया की पहली यूनिवर्सिटी है जिसने अपने स्टूडेंटस को डिग्री देना शुरू की.  1359 में इस यूनिवर्सिटी में एक लाइब्रेरी कायम की गयी. 1963 में मोरक्को सरकार ने इसे राज्य यूनिवर्सिटी का दर्जा दिया. 

मस्जिद और यूनिवर्सिटी के चारों तरफ़ दरवाज़े हैं छत पर    कुदरती रंग से पेंटिंग्स बनायी गईं हैं जबकि इसके गुम्बद पर हरे रंग की टाइल्स लगायी गयी हैं.

आज हमें फातिमा जैसी बेटियों की ज़रूरत है जो दीन और दुनिया की तालीम को आम करें.

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