हिदायत. =: महान मंगोल शासक चंगेज़ खान का पोता शहज़ादा बरके_ख़ान

#हिदायत 

महान मंगोल शासक #चंगेज़_खान का पोता शहज़ादा #बरके_ख़ान एक दिन बाज़ार से गुज़र रहा था। 
उसने देखा कि एक बुज़ुर्ग जिसकी दाढ़ी है वह सो रहा है और बराबर में एक कुत्ता भी सो रहा है 
शहज़ादे ने सवारी से उतर कर शरारत की और बुज़ुर्ग के चेहरे पर अपना पैर रख कर खड़ा हो गया। 
दाढ़ी देख कर हिकारत से बोला :-बता तू अच्छा या यह कुत्ता अच्छा"?

बुज़ुर्ग ने बड़े तपाक से जवाब दिया कि अगर मेरी मौत ईमान पर हुई तो मै अच्छा; वर्ना यह कुत्ता अच्छा..!

यह जवाब सुनकर शहज़ादे के साथ आये खड़े हुए लोगों में सुकूत तारी हो गया, बरके ख़ान के पैर में लरज़ा तारी हो गया।
उसने पैर हटा लिया और बुज़ुर्ग को बा इज़्ज़त खड़ा करके पूछा, यह ईमान क्या चीज़ है ?

बुज़ुर्ग ने कहा कि यह वह दौलत है जिसे न तुम्हारा दादा लूट सका और न यह तुम्हारे हाथ आएगी, चाहे तुम सौ साल हुकूमत कर लो।
शहज़ादे ने कहा लेकिन मुझे वह चाहिये।
बुज़ुर्ग ने कहा कि अभी आप इस ईमान की दौलत को नही संभाल सकते।
शहज़ादे ने अपने हाथ से अंगूठी निकाल कर दी और बोला कि जब मै बादशाह बनूंगा तब आप यह अंगूठी लेकर मेरे पास आना।

एैसा ही हुआ वो बुज़ुर्ग बरके ख़ान के राजा बनने के बाद उसके पास गये और उसे दावत दी, 
बरके ख़ान ने इस्लाम की दावत कुबूल की और मुसलमान बन गया। 
उस बुज़ुर्ग का नाम #सैफ़ुद्दीन_दरवेश था; 
जिनके इमान ए कामिल के जज़बे से मुतास्सिर हो कर बदतरीन दुश्मने इस्लाम जो इस्लाम को मिटाने निकले थे, ख़ुद मुसलमान हो गए। 

चंगेज़ ख़ान उस शख़्स का नाम है जिसने मुसलमानो को सबसे अधिक नुक़सान पहुंचाया और उसी का एक पोता हलाकु ने तो बग़दाद को ना सिर्फ़ बर्बाद किया; बल्के ख़लीफ़ा तक को मार दिया। 
पर उसी हलाकु का चचेरा भाई और सबसे महान मंगोल शासक #चंगेज़_ख़ान का पोता बरके ख़ान न सिर्फ़ ख़ुद इस्लाम क़बूल करता है बल्के अपने अपने ज़ेर ए हुकुमत पड़ने वाले तमाम इलाक़े को इस्लामी दुनिया के नाम कर देता है, 
आजका मौजूदा सेंट्रल ऐशिया उसी का हिस्सा है

इसके इलावा वो मुस्लिम दुनिया पर हलाकु के हमले और बग़दाद के बर्बादी का बदला लेने की क़सम खाता है, 
और अपने ही चचरे भाई के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ जंग का ऐलान करता है, 
बल्के कई मोर्चे पर हरा भी देता है। 
बहुत सारे लोगों का मानना है के बरके ख़ान की वजह कर #मक्का_और_येरुशलम जैसे पाक शहर हलाकु के चपेट मे आने से बच गए। 

यहां तक के बरके ख़ान ने उस्मानी सलनत के बानी उसमान गाज़ी के पिता, 
यानी क़ाई क़बीले के सरदार अरतग़ल ग़ाज़ी कि मदद भी की; 
जिसके नतीजे में #एक_अज़ीम_सलतनत_उस्मानिया वजूद में आया। 

बरके ख़ान का जन्म मंगोलिया मे हुआ था; और इंतक़ाल 1266 में अज़रबैजान में हुआ। 

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