इबादत किसलिए करें

हज़रत राबिया बसरी रहमतुल्लाहि अलैहा और हसन बसरी रहमतुल्लाहि अलैह हम'असर थे मगर आप दोनों के तरीके में फर्क था।
हसन बासरी खौ़फे ख़ुदा जबकि राबिया बसरी इश्क़े इलाही कि कायल थी।
हज़रत हसन बसरी रहमतुल्लाहि अलैह ने इक दफा इक नमाजे जनाजा पढ़ाई। जब लोग दफन करके कब्र दुरुस्त कर चुके तो आप उस क़ब्र के नज़दीक बैठकर बहुत रोए फिर आपने हाज़रीन से फरमाया ऐ लोगो सुनो दुनिया की आखिर क़ब्र है और आखिरत की अव्वल क़ब्र है फिर तुम ऐसे आलम से क्यूं नहीं डरते जबकि तुम्हारा अव्वल आखिर यही है। ऐ गा़फिलो अव्वल वा आखिर को दुरुस्त कर लो। ये वाज़ सुनकर सभी हाजरीन रोने लगे।।
          एक बार लोगो ने देखा कि राबिया बसरी रहमतुल्लाहि अलैहा जज़्ब की हालत में एक हाथ में मश'अल और इक हाथ में पानी लिए जा रही थी।
लोगो ने पूछा कि आप क्या करने जा रही है 
राबिया बसरी ने फरमाया मश'अल से जन्नत को जलाने और पानी से दोज़ख़ की आग को बुझाने जा रही हूं।
ताकि लोग उस खालिके हकीकी की इबादत जन्नत की लालच या जहन्नम के खौफ से न करे बल्कि लोगो का मसकद ए इबादत सिर्फ अल्लाह का इश्क़ बन जाए ।।

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