बियर का नशा

(बियर का नशा ) 

कुछ जाहील लङके ये कहते हुवे मिलते है कि इस्लाम मे शराब हराम है क्योकि इसमे नशा होता है लेकिन बियर मे नशा नही होता ये फ्रुट कि बनती है

उनका ये कहना दीन के एतबार से भी जहालत है और दुनियावी एतबार से भी जहालत 
बियर और शराब मे ज्यादा फर्क नही है बस नशे के एतबार से कुछ पाईंट का फर्क है 

दर असल इस्लाम उस मशरुब यानी उस शरबत को हराम कहा गया है जो खुम्र हो 
और खुम्र कहते है अंगुर के उस कच्चे शियरा को जो सङ कर झाग छोङ दे 

इसी तरह जो अंगुर का पका शियरा हो वो पक कर दौ तिहाई औट जाए वो भी खुम्र कि श्रेणी मे ही आता है लेकिन नाम उसका तला बज़ाक होता है 

वो कच्चा पा‌नी जिसमे ताज़ा खजुरो को डाला जाए और वो सङ कर झाग छोङ दे और उसकी मिठास चली जाए वो भी खुम्र कि श्रेणी मे आता है अगरचे उसको कहते सुकर 

जिस कच्चे पानी मे किशमिश को डाला गया हो और वो सङ कर झाग छोङ दे और उसकी मिठास चली जाए वो भी खुम्र कि श्रेणी मे आता है उसको कहते है नकीज़बिब 

और बियर चाहे जौ कि बनी हुवी हो या किशमिश कि या किसी भी फ्रुट कि वो भी हराम ही है 
और अंगुर कि हो तो कुरान कि नस्से सरीह से हराम है अगरचे एक कतरा ही पि हो चाहे नशा आए या ना आए 
चाहे उसका नाम बियर रखो या रम रखो या किसी भी तरह से अपने नफ्स को बेवकुफ बनाओ वो हराम ही है

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