आखिर मौत क्यो ?

(आखिर मौत क्यो ? ) 

हजरते मुसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दरयाफ्त किया कि या अल्लाह तुने इतने खुबसुरत खुबसुरत ईन्सान बनाए और फिर उन्हे बरबाद क्यो किया (यानी बनाकर मौत क्यो दी) ?
तो अल्लाह ने फरमाया ऐ मुसा अगर तु ये सवाल हिर्स और काहिली कि वजह से करता तो जवाब के बजाए अज़ाब पाता लेकिन मै जानता हु ये सवाल तुने इसलिये किया है कि तु चाहता है कि इस सवाल का जवाब लोगो को मिल सके और इसकी हिकमत व मसलेहत लोगो को पता चले कि मेने क्यो इन्सानो को ज़िन्दगी देकर फिर मौत दी, ,,,,
और फिर अल्लाह ने फरमाया कि ऐ मुसा थोङे से गेहूं के बीज ज़मिन मे डाल दे ताकी तुझे तेरे सवाल का जवाब मिल सके चुनांचे हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने गेहूं कि खेती शुरु कर दी लिहाज़ा बेहतरीन तरीके पर फसल हुवी गेहूं कि जब फसल पक ग ई तो दराती से काटना भी शुरु किया वह भी बङे शौक से, ,,,,फिर अल्लाह ने पुछा ऐ मुसा तुने बीज बोए उसके लिये हल चलाया दिन रात मेहनत कि और जब फसल मुकम्मल हो ग इ तो उसे काँटना भी शुरु कर दिया?  तो हजरत मुसा ने अर्ज़ हाँ या अल्लाह गेहूँ के साथ-साथ घास व कचरा भी था लिहाज़ा इसलिये इसको काँटना ज़रुरी है ताकी गेहूं के दाने कचरे व घास मे मिल ना जाए और मिलकर तबाह ना हो जाए ,,,,,,फिर अल्लाह ने फरमाया कि ए मुसा यही तेरे सवाल का जवाब है तुने पुछा था कि मेने इन्सानो को ज़िन्दगी देने के बाद मौत क्यो दी तो सुन, ,,,,मेने एक बीज आदम से पुरी इन्सानियत कि खैती बोई उसमे कुछ घास और कचरा भी है और कुछ गैहू के दाने भी यानी तमाम इन्सान आदम कि औलाद है और उनमें कुछ गुनाह बदकार सियाकार खताकार फसादी फासिक मेरे नाफरमान हेवान इन्सान भी है जिन्हे तु कचरा समझ ले और उसी आदम कि औलाद मे कुछ अच्छे व नेक लोग भी है जो दुनिया मे नेक काम करते है माँ बाप कि फरमा बरदारी, बङो का अदब, छोटो से प्यार गरीबो कि मदद, ,भाईयों से प्यार, ,रोतो को हसाते है गिरतो को उठाते है मेरी और मेरे नबीयो कि फरमाबरदारी करते है ये अच्छे लोगो को तु गैहू समझ ले, ,,लेकिन ये अच्छे व बुरे यानी कचरा व गेहूँ मिले हुवे है दुनिया के अन्दर लिहाज़ा इनको काँट कर यानी मौत देकर मे कियामत मे इनको अलग-अलग करुंगा जो अच्छा होगा और दुनिया मे जिसने अच्छे काम किये होंगे उन्हे जन्नत दूंगा और बुरे व कचरा लोगो को जहन्नुम दूंगा, ,,,,,,,,

जम उलन जवामेह किताब सफा 254 ,,,चिश्तिया सिलसिले के बुजुर्ग हजरत हमिद अली शाह रहमतुल्लाह अलैह कि मश्हुर किताब फहम व अमल सफा नम्बर 266

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