ईल्म और ईमाम

(ईल्म और ईमाम बुखारी रहमतुल्लाह अलैह कि बाब बन्दी ) पोस्ट 3

इन्सानी अक्ल के दौ हथियार है जो चिज़ उसकी अक्ल मे नही आती या उसकी अक्ल के दायरे व तहकिक से बहार निकल जाती है या अक्ल के गौशे मे नही समाती अक्ल उस चिज़ पर अपने दौ हथियार चलाती है 
एक - तो या तो अक्ल उस चिज़ का इन्कार कर देती है 
दौ - या उस चिज़ मे शक व वहम पैदा करती है कि ये कैसी चिज़ है ? पता नही ये क्या है ? सही है भी या नही वगैराह करके सवालात खङी करती है और शक पैदा करती है 
इसलिये तो फरमाया गया 👇👇
अक्ल को तनकिद से फुरसत नही 
इश्क पर ईमान कि बुनियाद रख 

तो ईमानी अकाईद मे बहुत सी चिज़े ऐसी जो हक है लेकिन इन्सान कि अक्ल से बुलन्द है यही वजह है कि कुरान कि सुराह बकराह मे अलफ़ाज़ ए मुकाअद्दात नाज़िल फरमाए 👇👇
الم
ये अलफ़ाज़ जो इन्सान कि अक्ल से बुलन्द है जिसका माना अल्लाह व रसूल के सिवा कोई नही जानता नाज़िल फरमाकर फौरन इरशाद फरमाया गया 👇👇
ذَلِكَ الْكِتَابُ لَا رَيْبَ فِيهِ
यानी - यह अज़िम किताब जिसमे शक कि गुंजाईश नही (सुराह बकराह आयत 2)
तो पहली आयत इन्सान कि अक्ल से बुलन्द है उसकी अक्ल कि रसाई उनके मफहुम तक नही इसलिये खबरदार कर दिया कि इन्कार मत कर जाना शक मत करना ये अज़िम किताब है इसमे कोई शक कि गुजांईश नही ये तो 👇👇
هُدًى لِلْمُتَّقِينَ 
यानी - हिदायत है मुत्तकिन के लिये ,।

Comments

  1. "MashaAllah appi or ek artical aapi namaz padhne hua sandhe mai dil kyu juoor se dharakne lagta hai is par bhi likh degiey ...." By ANAM

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