अमल_कि_क्वालिटी अर्टिकल 1। ( 8 सीरीस मे आर्टिकलस्)

(,#अमल_कि_क्वालिटी) article 1

(क्या कभी आप जीम (gym) करने गये हो ?) 

अगर आप कभी जीम करने गये हो तो आपने देखा होगा कि नौजवान जोश जोश मे अपनी ताकत अपने बदन कि केपिसीटी से ज्यादा एक ही दिन मे अपनी बाॅडी बनाने के चक्कर मे एक ही दिन मे पचास पचास दंड लगा लेते है जिसका नतिजा ये होता है कि दुसरे या तिसरे दिन ही उनका बदन जवाब देने लगता है और वो थक मांद कर घर बैठ जाते है और जिम जाना छोङ देते है और फिर ना बाॅडी बन पाती है और ना जीम का शौक बाकी रहता है

ठिक इसी तरह किसी किसी को ज़िक्र अज़कार वज़ाईफ तहज्जुद और दिगर अमाले नेक कि तरफ शौक हो जाता है और वो इस कदर जज़बाती हो जाते है कि अपने बदन व शौक कि केपिसिटी से भी आगे बढ ,जाते है जिसका नतिजा ये होता है कि दौ चार दिन बाद ना जिक्र रहता है ना अमल और एक दम से उकता जाते है 

जबकी बुखारी शरीफ कि हदीस नम्बर 43 फरमा रही है कि तुम पर इतना ही अमल वाजिब है जिसकी तुम ताकत रखते हो अल्लाह कि कसम 
अल्लाह सवाब देने मे नही उकताता मगर तुम उकता जाओगे अल्लाह को वही अमल पसंद है जिसमे हमेशगी हो दवाम हो 
यानी अमल चाहे कम हो लेकिन हमेशा किया जाए काॅनटीटी कम हो लेकिन अमल मे क्वालिटी हो यानी ईख्लास कि ,दिल जमाई ,रुजु इल्ल्लाहा हो ,खुशी हो ,रगबत हो ,ये तमाम क्वालिटी हो तो
एक बार सुब्हान अल्लाह पढने पर सौ बार सुब्हान अल्लाह पढने का सवाब मिलेगा बल्कि उससे भी कयी गुना 
अगर ये क्वालिटी ना हो तो एक हज़ार बार सुब्हान अल्लाह पढना भी बेसुद होगा

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