मारने के बाद क्या होता है”❓
⚰️ मारने के बाद क्या होता है”❓
🌏 दुनिया और आख़िरत के बीच एक और आलम है जिसको बरज़ख कहते है। मारने के बाद और कयामत से पहले तमाम इंसानो और जिन्नों को अपने अपने मर्तबे के हिसाब से बरज़ख में रहना होता है ! और यह आलम दुनिया से बहुत बड़ा है ! दुनिया बरज़ख के मुकाबले में ऐसी है जैसे *माँ के पेट में बच्चा* ! बरज़ख में कोई आराम से तो कोई तकलीफ से !!
💎 मरने के बाद भी रूह का रिश्ता इंसान के बदन के साथ रहता हे। रुह अगरचे बदन से अलग हो गयी हो मगर बदन पर जो बीतेगी रूह को पता होगा और रूह पर उसका असर होगा ! जैसा की दुनिया में जब बदन का असर रूह पर होता है उसी तरह मरने के बाद उससे ज़्यादा होता है !
👤इंसान जब अपनी दुनिया की ज़िन्दगी ठंडा पानी, हवा, नरम बिस्तर, और आराम देने वाली सवारियों को अपने इस्तमाल में लाता है इन चीज़ों का असर जिस्म में पड़ता है मगर आराम व राहत रूह को मिलती है ! ठीक उसी तरह इंसान गर्म पानी, गर्म हवा, सख्त बिस्तर, तकलीफ देने वाली सवारियों को अपने इस्तेमाल में लाता है तो उनकी सख्ती और गर्मी का असर जिस्म पर पड़ता है एमजीआर तकलीफ रूह को होती है !
✨ मरने के बाद मुसलमान की रूहें अपने अपने दरज़ो के हिसाब से अलग यपग रहती है ! कुछ की कब्र पर, कुछ की जमजम के कुए पर, कुछ की आसमान कुछ की जमीं के बिच, कुछ को आला इल्लीन में रहती है !
मगर रूहें जहाँ कहीँ भी हो अपने जिस्म से रिश्ता बराबर कायम रहता है ! जो लोग उनकी कब्रो पर आते है उनको पहचान लेते है ! और उनकी बातें सुनते है !
*📚(बहारे शरीअत, हिस्सा अव्वल, सफ़ा 26,27)*
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