शरई_पर्दा_और_मौजूदा_बुर्का
#शरई_पर्दा_और_मौजूदा_बुर्का
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शरियत में पर्दा फ़र्ज़ है मौजूदा बुर्का नही बुरका तो पर्दा करने यानी जिस्म को छिपाने के लिए पहना जाता है ताकि किसी गैर महरम की नज़र एक मोमिना ख़ातून के जिस्म पर न पड़े!
लेकिन जो बुरका चुस्त हो (जैसा कि आजकल चल रहा है) और जिससे जिस्म के आज़ा (पार्ट्स) ज़ाहिर होते हो उस बुरके का पर्दे से कोई ताल्लुक नही वो पर्दा नही बल्कि महज़ फैशन है!
अगर फैशन ही करना है तो कोई भी ड्रेस पहन के कर सकते है! इसके लिए बुरका ही ज़रूरी नहीं कि पर्दे की आड़ में जिस्म की नुमाइश भी हो रही है और नाम है पर्दे का! याद रखें इस्लाम मे मर्दो को भी और औरतों को ढीला लिबास पहनने का हुक्म दिया है ताकि आज़ा ए जिस्म की बनावट ज़ाहिर न हो अगर किसी कपड़े से जिस्म की बनावट (शेप) ज़ाहिर हो रहा है तो जाहिर तो वो लिबास है लेकिन एक हिसाब से आपका बदन नंगा है क्योंकि लिबास का मक़सद जिस्म को छुपाना होता है तो जब ऐसे चुस्त लिबास या बुर्के की वजह से आपके जिस्म की एक एक बनावट नज़र आ रही है तो वो तो न लिबास हुआ न ही पर्दा हुआ!
इसलिए पहले पर्दे और मौजूदा दौर में राइज बुर्के का फर्क समझे सिर्फ वो एक चादर या दुपट्टा जिससे जिस्म छुप जाए उस बुर्के से कहीं बेहतर है जिसकी फिटिंग से जिस्म के आज़ा ज़ाहिर होते हों!
आप बुरका पहनती हो पर्दे के लिए लेकिन ऐसे बुर्के से पर्दा तो क्या जो कपड़ा घर मे पहना जाता है वो ही बेहतर है इस बुरके से
बुरका एक मोमिना औरत की इज़्ज़त और एहतराम के लिए है जो कि एक मोमिना और गैर मोमिना औरत में फर्क करता है!
लेकिन जब ही कि उस बुर्के से आपका शरई पर्दा भी हो रहा हो!
अगर उस बुर्के से जिस्म ज़ाहिर हो रहा है तो ऐसा पर्दा और बेपर्दगी दोनो बराबर है!
सोशल मीडिया पर बहुत सी पिक्स वाइरल होती है टाइट और चुस्त बुरखे वाली ख्वातीन की जिन पर गन्दे कमेंट्स किये जाते है और अश्लील तसवीर के तौर पर उस pic को यूज़ किया जाता है लेकिन वही एक औरत जब शरई पर्दा करती है तो दूर से ही उसका रोब नज़र आता है!
इसलिए ख्वातीन से गुज़ारिश है लूज़ बुर्के पहने जिसका शरीअत ने हुक्म दिया है और जिससे सामने वाले को आपके आज़ा नज़र न आएं ज़रूरी नही मार्किट में जो चल रहा है वही इस्तेमाल किया जाए ये देखे क्या इस बुर्के से वाक़ई शरई पर्दा हो रहा है या ये बुर्का सिर्फ फॉर्मेलिटी है मुसलमान औरत होने का
एक सवाल ये होता है कि जब पर्दा ही फ़र्ज़ है तो बुर्का क्यों किसी भी लिबास से पर्दा हो सकता है?
उसका जवाब ये है कि बुर्का एक ऐसा लिबास है जिसमे बेपर्दगी का कोई एहतिमाल नहीं होता क्योंकि अगर आप दुपट्टा या चादर वगैरा से पर्दा करती हैं तो दुपट्टा सरक जाने या हवा वगैरा की वजह से दुपट्टा या चादर उड़ जाने के पूरे पूरे चांसेज हैं मगर बुर्का ऐसा पर्दा है जिसमे बेपर्दगी के कोई चांसेज नहीं मगर जबकि वो बुर्का बुर्का हो ढीला भी हो और ऐसे कपड़े का हो जिससे आज़ा नज़र न आएं न कि ऐसा चुस्त और हल्का कि उससे पर्दा तो क्या आला दर्जे की बेपर्दगी हो रहा हो!
और बुर्का घर के कपड़ो के ऊपर इसलिए पहना जाता है क्योंकि बुर्के की मिसाल उज़ चादर की है जिससे औरत पर्दा करे और वो अपने उससे अपने जिस्म को छुपाये बस जब कपड़ो के ऊपर मज़ीद एक लंबी चादर पहनने से कोई इश्काल नहीं तो कपड़ों के ऊपर बुर्का पहनने पर भी कोई इश्काल नहीं होना चाहिए!
नोट: एक नारा और दिया जाता है मर्दों को चाहिए अपनी आंखों का पर्दा करें तो दीदी ये बात अल्लाह ने 1400 साल पहले ही क़ुरआन में बता दी मर्दो के लिए आंखों का पर्दा फ़र्ज़ है क़ुरआन की जिस आयत में औरत के पर्दे के हुक्म है उससे पहली आयत में मर्द की आंख के पर्दे का हुक्म है कि मर्दों की चाहिए कि अपनी नज़रें नीची रखे साथ साथ औरतों को हुक्म है वो पर्दा करें ताकि दोनो तरफ से पर्दे जैसी फ़र्ज़ीयत को मजबूती मिले...😊
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