जब कभी लगे ......
जब कभी ख़ून के रिश्ते दिल दुखाएं तो हजरत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम को याद कर लेना... जिनके भाइयों ने उन्हें कुएं में फेंक दिया था।।
जब कभी लगे...
तुम्हारे घर वाले तुम्हारा साथ नहीं दे रहे हो तो एक बार हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम को याद कर लिया करो, जिनके बाप ने उनका साथ नहीं दिया बल्कि उनको आग में फेंकने वालों का साथ दिया।
जब कभी लगे...
तुम्हारा जिस्म बीमारी की वजह से तकलीफ़ में है, तो इस तकलीफ़ को बयान करने से पहले सिर्फ़ एक बार हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम को याद कर लेना। जो तुमसे ज्यादा कहीं ज़्यादा बीमार और तकलीफ़ में थे।
जब कभी किसी मुसीबत या परेशानी में मुब्तिला हो तो शिकवा करने से पहले हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को याद कर लेना जो मछली के पेट में रहे। उनकी अज़ीयत तुम्हारी परेशानी से कहीं ज़्यादा बड़ी थी।
अगर कभी लगे कि अकेले रह गए हो तो एक बार हजरत ए आदम अलैहिस्सलाम तो जरूर याद करना। जिनको अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने अकेले पैदा किया और फिर साथी अता किया तो तुम ना उम्मीद ना होना। तुम्हारा भी कोई साथी ज़रूर होगा।
अगर अल्लाह के किसी हुक़्म की समझ ना आ रही हो तो उस वक्त नूह अलैहिस्सलाम को याद करना। जिन्होंने बग़ैर किसी सवाल के कश्ती बनाई थी और अल्लाह के हुक्म को माना था, तो तुम भी मानो।
और अगर कभी तुम्हारे अपने भी रिश्तेदार और दोस्त तुम्हारा तमस्ख़ुर उड़ाएं तो नबियों के सरदार सरकार-ए-दो-आलम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्ललाहोअलैहिवसल्लम को याद कर लेना।
तमाम नबीयों को अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने आज़माइशों में डाला है कि हम उनकी ज़िन्दगानी से सब्र-ओ-इस्तेक़ामत, हिम्मत व तक़वे पर डटे रहने का सबक़ हासिल करे।
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