क़ुर्बानी के अहकाम व मसाइल_*
*_✍🏻क़ुर्बानी के अहकाम व मसाइल_*
*_🏷️ पोस्ट नम्बर-::1⃣_*
_⚜उमुरे इस्लाम मे कुछ फराईज़ व वाजिबात हैं जिनका बजा लाना लाज़िम व जरूरी है इन उमूर में से क़ुर्बानी भी है जो वाजिब है जिसके पास अय्यामें क़ुरबानी मे मिक़दारे निसाब माल हो ख्वाह वह माल रुपये व नक़दी सोना चाँदी या काश्त वगैराह की शक्ल में हो उन पर क़ुरबानी वाजिब है अल्लाह तआला ने नजदीक क़ुरबानी के दिनों में जानवर जा खून बहाने अमल बहुत ज्यादा महबुब व पसन्दीदा है बारगाहे खुदाबन्दी में अगरचे क़ुरबानी का गोश्त पोस्त नही पहुँचता मगर उस से बन्दे को जो तक्वा हासिल होता है वह तक्वा पहुँचता है बन्दे की यही सबसे बड़ी सआदत व फ़ीरोज़ बख्ती है कि उसका कोई नेक काम खुदा की बारगाह में पहुँचे और वह कुबूल हो जाए ।_
_📖हदीस में है ज़ैद बिन अकरम रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु कहते हैं रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम से पूछा या रसूलल्लाह यह क़ुरबानियाँ किया हैं फामाया तुम्हारे बाप हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत पूछा उसमें हमको क्या मिलेगा फरमाया उसके हर बाल के बराबर नेकी लोगो ने अर्ज़ किया और उनके बारे में क्या इरशाद फ़रमाया उसके भी हर बाल के बराबर नेकी मिलेगी बाल से इशारा बकरी की तरफ था तो लोगो ने ऊन कह कर मेढ़े के बारे में पूछ लिया_
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