वाक़ई बेटियों की तरबियत ऐसी ही करनी चाहिए।

*#वाक़ई_बेटियों_की_तरबियत*
    *#ऐसी_ही_करनी_चाहिए*

शादी के तीन साल के बाद सासू मां ने बहू से पूछा:
          "बहू मुझे एक बात तो बता मैं तुझे इतनी खराब और खरी खरी बातें सुनाती हूं और तू पलट कर जवाब भी नहीं देती और गुस्सा भी नहीं करती बस हंसती रहती है-"
बहू को तो जैसे सुनाने को कहानी मिल गई......
कहने लगी:
         "अम्मा जी! आपको एक बात सुनाती हूं मैं जब छोटी थी मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि मेरी मां मेरी सगी मां नहीं.. क्यूंकि वो मेरे से घर के सारे काम करवाती थीं और कोई काम गलत हो जाता तो मुझे डांट भी पड़ती थी और कभी कभी मार भी देतीं थीं- लेकिन मां थीं वो मेरी.. और उनसे डर भी लगता था- तो कभी गुस्सा नहीं किया मैंने उनसे-

यहां तक कि मैं कॉलेज से थक कर वापस आती तो आते ही कुछ देर आराम के बाद मुझे काम करने होते थे- फिर जब मेरी भाभियां आईं तब तो जैसे मेरे काम ज़्यादा ही बढ़ गए.. होता तो ऐसे है ना कि बहू आई तो सारी ज़िम्मेदारियां उस पर डाल दीं..!!! मेरी अम्मी ने फिर भी मेरे से काम करवाया और कभी भी भाभियों को नहीं डांटा बल्कि उनके काम भी मुझे कहती थीं कि कर दो खैर है- फिर क्या होता है उनका एक जुमला हमेशा मुझे याद रहता है.."
वो कहतीं थी:
      "खैर है निमरा अगले घर जाकर तुझे मुश्किल नहीं होगी और मैं इस जुमले से चिढ़ गई थी-"

जब मेरी शादी थी तो दो दिन पहले मुझे अम्मी ने प्यार से अपने पास बिठाया और बोलीं:
        "बेटा आज तक समझ मैं तेरी सास थी.. मैंने तुझे प्रेक्टिस करवा दी है.. तुझे बता दिया है कि सास कैसी होती है- अब से मैं तेरी मां हूं- अब तेरी शादी हो रही है तो बेटा जब तुम्हारी सास तुम्हे कुछ कहे तो समझना मैं कहती थी- वैसे ही जैसे तेरी मां तुझे डांट रही है-"
बस यही बात थी मुझे आपकी बातें बुरी नहीं लगतीं क्यूंकि मुझे प्रेक्टिस करवा के भेजा है मेरी अम्मी ने... और अम्मा जी आपने तो कभी इतना डांटा ही नहीं जितना अम्मी डांटतीं थीं तौबा तौबा....
बहू हंसती हुई किचन में चली गई.....
और सास सोचती रही कि:
            *क्या वाक़ई बेटियों की तरबियत ऐसी करनी चाहिए...???"

Comments

Popular posts from this blog

मसाइले क़ुर्बानी

हज़रत ग़ौस-ए-आज़म रहमतुल्लाह अलैह

रुहानी बीमारियों के 6 कि़समें हैं,