तजकिरए मौत की तारीफ ❞*

*❝ तजकिरए मौत की तारीफ ❞*

╭┈►  अगर कोई शख़्स मौत को इस लिये याद करता है क्यूंकि मौत अपने महबूब रब عَزَّوَجَلَّ से मुलाक़ात का वादा है और महब्बत करने वाला महबूब से मिलने का वादा कभी नहीं भूलता और आम तौर पर येही होता है कि मौत देर से आती है लिहाजा येह शख़्स मौत की आमद को पसन्द करता है ताकि ना फरमानी के इस घर से जान छूटे और कुर्बे इलाही के मर्तबे पर फ़ाइज़ हो सके तो येह तजकिरए मौत भी जाइज़ ,शरअन महमूद या'नी काबिले तारीफ़ और बाइसे अज्रो सवाब है।

📙 इहयाउल उलूम,5/475 मुलख्वसन

╭┈►   अगर अहकामे शरइय्या के मुवाफ़िक ज़िन्दगी गुजारने वाला ,फराइजो वाजिबात व सुनन का पाबन्द कोई शख़्स इस लिये मौत को याद करता और इस की तमन्ना करता है कि मौत के वक़्त या कब्र में मीठे मीठे आका ,मक्की मदनी मुस्तफ़ा ﷺ की ज़ियारत नसीब होगी तो येह तजकिरए मौत भी शरअन महमूद यानी काबिले तारीफ़ और बाइसे अज्रो सवाब है।

*नबी  के  आशिकों  को  मौत  तो  अनमोल  तोहफा  है*

*कि  उन  को  कब्र  में  दीदारे  शाहे  अम्बिया  होगा  है*

╭┈►  हुज्जतुल इस्लाम हज़रते सय्यिदुना इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली علیه رحمةالله الوالی फ़रमाते हैं हर हाल में मौत को याद करने में सवाब और फजीलत है और येह सवाब और फजीलत दुन्या में मगन शख़्स भी मौत को याद कर के पा सकता है इस तरह कि दुन्या से अलग थलग रहे ता कि दुन्यावी ने'मतों में दिल चस्पी न रहे और लज्जतें बद मज़ा हो जाएं क्यूंकि हर वोह लज्जत व ख्वाहिश जो इन्सान के लिये बद मज़ा हो वोह अस्बाबे नजात में से है।...✍🏻

📕 इहयाउल उलूम ,5/4774

*📬 नजात दिलाने वाले आ'माल की मा'लूमात सफ़ह  91 📚*

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