तारीखे करबला
* तारीखे करबला *
* पोस्ट नम्बर " 1" *
*🌹शहादत🌹*
शहादत शहादत आखिरी मंज़िल है इंसानी सआदत की वह खुश किस्मत हैं मिल जाए जिन्हें दौलत शहादत की शहीद इस दारेफानी में हमेशा ज़िन्दा रहते हैं ज़मीं पर चाँद तारों की तरह ताबिन्दा रहते हैं यह शहादत इक सबक़ है हक परस्ती के लिए इक सुतूने रौशनी है बहर हस्ती के लिए
अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है : " और जो इताअत करते हैं अल्लाह और रसूल की तो वह उन लोगों के साथ होंगे जिन पर अल्लाह ने इंआम फरमाया यानी अंबिया और सिद्दीकीन और शोहदा और सालेहीन और यह साथी क्या ही अच्छे हैं।
" *( सूरः निसा -69 )*
इस आयत से दो बातें साबित हुई एक यह कि जो लोग अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के मुतीअ व फरमां बरदार हैं उनको नबियों , सिद्दीकों , शहीदों और सालेहीन की रिफाकत व मईयत हासिल होगी । दूसरा यह कि नुबुव्वत , सिद्दीकियत , शहादत और सालेहीयत अल्लाह तआला के इंआमात हैं..
हुजूर सैयदे आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ाते अक्दस में हर वह इंआम और हर वह कमाल जो किसी भी मख्लूक को अता हुआ बदरजा अतम मौजूद था । बल्कि जिस किसी को कोई इंआम व कमाल मिला वह आप ही की बदौलत मिला । तमात अंबिया , सिद्दीकीन , शोहदा और औलिया में जिस कद्र भी जमाल व कमाल है वह ज़िल्ल और अक्स है जमाल व कमाले मुहम्मदी सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व सल्लम का । क्योंकि आप असल काइनात हैं। आपकी ज़ात काइनात के हर हर फर्द के लिए तमाम फुयूज़ व बरकात का ज़रिया और वसीला है। जिस तरह जड़ पूरे दरख्त की ताज़गी और फलों के जमाल व कमाल का बाइस होती है इसी तरह आपकी ज़ात तमाम आलमीन के लिए हर किस्म के इंआमात व कमालात का बाइस है.
* शामे करबला सफह 5 *
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