ज़िन्दगी कि दिनचर्या
(कभी केंसर के मरीज़ को देखा है ?)
कभी केंसर के ऐसे मरीज़ को देखा है जिसका केंसर आखरी स्टेज पर पहुच गया हो ?
जिसको डाॅक्टर ने ये कहकर जवाब दे दिया हो कि इसको घर ले जाओ अब कोई इलाज नही है बस चन्द दिनो का मेहमान है ये
आप ऐसे मरीज़ को देखे क्या हाल होता है उसका ?
उसकी आँखो मे नमी होती है
कभी वो बाप को प्यार से देखता है - तो कभी माँ को - तो कभी बहन को कभी भाईयो को कभी दोस्तो को कभी पङोसियो को
हर दुश्मन हर वो शख्स जिससे उसको नफरत थी हसद थी बुग्ज़ था उसे अब उन सब पर प्यार आने लगता है
कभी सज्दे मे रोता है ,तो कभी कियाम मे
अब उसका दिल लज्जतो मे नही लगता
अब उसका दिल खेल तमाशो फिल्मो गानो नगमो शायरी मे नही लगता
अब वो कुरान कि तिलावत सुनता है ,अब वो गिबत नही सुनता ना करता है
अब वो नात सुनकर रोता है तौबा करता है
ऐसा क्यो हुवा ? क्योकि एक डाॅ ने उसे उसकी जिस्मानी हालत देखकर उसे मौत कि खबर सुना दी
जिस पर उसे यकिने कामिल हासिल हो गया
Sahih Farmaya
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