ईदे गदीर मनाना जाईज़ है या नहीं"
"शिया ईदे गदीर क्यूं मनाते हैं? अहलेसुन्नत का ईदे गदीर मनाना जाइज़ है या नहीं?
ईदे गदीर सबसे पहले किसने मनाई?? हवालाजात की रोशनी में मुलाहीज़ा फरमाएं👇🏻))
"ईदे गदीर मनाना जाईज़ है या नहीं"
ईदे गदीर मनाना चाहिए या नहीं?
ओर ईदे गदीर की शरई हैसियत क्या है?
अल जवाब________
ईदे गदीर अहले तशई के लिए ईदे अकबर है। क्योंकि वो ये मानते है के इस दिन हज़रत अलिय्युल मुर्तजा़ رضي الله عنه को खिलाफते बिला फसल मिली थी।
या इसलिए भी हो सकता है के इसी दिन हज़रत उस्माने गनी رضي الله عنه की शहादत हुई थी।
लेकिन असल वजह यही है के वो हज़रत अलिय्युल मुर्तजा़ رضي الله عنه को खलीफाए बिला फसल मानते हैं।
"ईदे गदीर की इब्तिदा सबसे पहले मुइजुद्दोला बिन अब्विया ने रवाफिज़ के साथ मिलकर 18 जुलहज्ज 252 सिने हिजरी में बगदाद से शुरू कराई"
"जैसा के अल्बीदायह वन्नहायह में हाफ़िज़ इब्ने कसीर लिखते हैं👇🏻"
[ ثم دخلت سنة ثنتين و ثلاثهاىٔة ...... و فى عشر ذى الحجة منها أمر معزة الدولة بن بويه باظهار الزينة فى بغداد و ان تفتح الأسواق بالليل كما فى الأعياد ، وان تضرب الدباب و البوقات ، و ان تشعل النيران فى أبواب و عند الشرط ، فرحاً بعيد الغدير _ غدير خم _ فكان وقتا عجيبا مشهودا ، و بدعة شنيعة ظاهرة منكرة ]
(तर्जुमा :👉🏻 352 सिने हिजरी में 18 जुलहज्ज को मुइजुद्दोला बिन अब्विया ने बगदाद को सजाने का और रात को ईदो की रातों की तरह बाज़ार खोलने का हुक्म दिया, बाजे ओर बगल बजाए गए, हुक्काम के दरवाज़ों ओर फौजियों के पास चरागा किया गया, ईदे गदीर की खुशी में वोह दिन अजीब ओर देखने का दिन था, ओर ज़ाहिर बुरी बिदअत का दिन था)
(( 📕 البدایہ والنھایہ ، جلد : ١١ ، صفحہ : ٢٤٣ ، مطبوعہ : بیروت ، لبنان ))
साबित हुआ के ईदे शिया हाकिम मुइजुद्दोला ने शुरू कराई।
ओर भी कई कुतुबे तवारिख में ये मौजूद है।
अल हासिल: अहले तशई ईदे गदीर इसलिए मानते है और ईदे गदीर की असल भी यही है के हज़रत अली को खिलाफत मिली थी जबकि ये महज़ रवाफिज़ का इफतिरा है।
अहले तशई (शिया) खिलाफते हज़रत अली رضي الله عنه के लिए इस हदीस से इस्तीदलाल करते हैं
(من كنت مولاه فعلي مولاه)
जिसका में मोला हूं उसके अली मोला है
(( 📕 جامع الترمذی ؛ باب مناقب علی بن ابی طالب ، الفصل الثانی ، حدیث نمبر : ٦٠٩١ ، صفحہ : ٥٨٠ ))
(( مشکوٰۃ المصابیح للجرجانی ، جلد نمبر : ٤ ، حدیث نمبر : ٥٠٢ ))
(( کنز العمال ، جلد نمبر : ٥ ، فضائل علی رضی اللّٰه عنہ ، حدیث نمبر : ٣٢٩٥ ، صفحہ نمبر : ٦٠٩ ، مطبوعہ : مؤسسۃ الرسالہ ، بیروت ))
(( تاریخ الخلفاء ، فصل فی الاحادیث الواردو فی فضلہ ( علی بن ابی طالب ) ، صفحہ : ١٣٥ ))
इस हदीस से इस्तिदलाल करते हैं, हालांकि इस हदीस का मतलब खलीफा या इमाम के नहीं बल्कि "ब मा'ना मददगार है"
जैसा के इस हदीस की शरह में शैखे मुहक्किक, मुहक्किक अ़लल इत़लाक शैख अब्दुल हक मुहद्दिस देहलवी رحمة الله फरमाते हैं👇🏻
[ بداں کہ ایں اقوی چیزیست کہ تمسک کردہ اند ، شیعہ درا عای ایشاں نص تفصیلی بخلاف علی مرتضیٰ رضی اللّٰه عنہ و میکویند کہ مولیٰ اینجا بمعنی اولی بامامت است ]
( तर्जुमा:👉🏻 जानलो के ये सबसे ताकतवर दलील है जिससे शिया लोग इस्तिदलाल करते है के ये हदीस हज़रत अली رضي الله عنه की खिलाफत की तफसीली नस है, ओर शिया कहते हैं के यहां मोला के माना उला बिल इमामत है)
(( اشعتہ اللمعات شرح مشکوٰۃ ، باب مناقب علی ، جلد نمبر : ٤ ، صفحہ نمبر : ٣٧١ ، فارسی ))
ओर मोला का सही माना हुज़ूर हकीमूल उम्मत मुफ्ती अहमद यार खान नईमी عليه الرحمة फरमाते हैं👇🏻
(यहां भी मोला ब माना खलीफा नहीं, मददगार या दोस्त है, जिसे हुज़ूर से मोहब्बत है उसे हज़रत अली से मोहब्बत होनी ज़रूरी है)
(( مرآة المناجیح شرح مشکوٰۃ المصابیح ، جلد نمبر : ٨ ، صفحہ نمبر : ٣٨٢ ))
ये है मोला का सही माना । लेकिन सिर्फ शियो ने इस का माना खलीफा या इमाम के लिए हैं।
इस वजह से ये हज़रत अली رضي الله عنه को सबसे पहला खलीफा मानते है। अस्तगफीरुल्लाह__ ओर इसी खुशी में ये ईदे गदीर मानते हैं।
ओर खुलफाए सलासा हज़रत अबू बक्रो, उमर, उस्माने गनी رضي الله عنهم اجمعين की खिलाफत को ये लोग बातिल मानते हैं। ओर ये कुफ्र है। इसलिए के खुलफाए अरबाअ़ की खिलाफत कर इजमाए उम्मत है। जिसपर कासिर दलाइल दिए जा सकते है।
अल हासिल_____ ईदे गदीर ये अहले तशई का तेहवार है जिससे उनका अकिदाए शनीअ़ "खिलाफते बिला फसल" वाला अकिदह ज़ाहिर होता है इसलिए मुसलमानो का ईदे गदीर मनाना गुनाह बल्कि गुमराही व कुफ्र पर मदद करना है
इसीलिए ईदे गदीर मनाना ना जाइज़ है
"من تشبه بقوم فهو منهم"
( ابو داؤد ، جلد : ٢ ، کتاب الباس )
🌹 و اللّٰه تعالیٰ اعلم بالصواب 🌹
✍️✍️ नबीरए सदरूल अफाजि़ल सय्यद मुइनुद्दीन नईमी ( जामिया नईमिया, दीवान का बाज़ार, खतीबो इमाम: नाइयो वाली मस्जिद, मुराद आबाद)
आ गए लब्बैक या रसूलअल्लाह ﷺवाले
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