करामत ए औलिया और मुर्दे को ज़िन्दा करना

(करामत ए औलिया और मुर्दे को ज़िन्दा करना ) 

आज के चन्द बुङबक जमात के लङके जो दावा तो अपने आईम्मा को मानने का करते है लेकिन उनके अकाईद के खिलाफ ही अकाईद गढ चुके है 

एहले हदीस फिर्का जो इब्ने तैमियाह को अकाबिर औलमा मानता है और औलिया अल्लाह कि करामत का इन्कार करता है जबकी इब्ने तैमियाह ने औलिया अल्लाह कि करामतो को हक माना है हत्ता कि मुर्दो को ज़िन्दा कर देने वाली करामत तक को अपनी किताब औलियाउर्रहमान व औलियाउस्शैतान सफा नम्बर 203 पर दर्ज करते है कि 
इब्ने असिम जिहाद कर रहे थे कि उनका घोङा मर गया आपने दुआ कि तो वो वापस ज़िन्दा हो गया 
हत्ता कि वापसी तक ज़िन्दा रहा और घर आने पर आपने अपने बेटे से उसकी पिठ से ज़िन उतारने को कहा और फरमाया कि वो घोङा अमानत है उस पर से ज़िन उतार लो जैसे ही ज़िन उतारी गयी वो घोङा फोरन मर गया 

तो सलफे स्वालेहीन से लेकर अकाबिर औलमा तक चाहे वो किसी भी मकतबे फिक्र के रहे हो उनका अकिदा सुफिया औलिया सलफ वाला ही रहा जैसा बरेलवियत का है हकिकि सलफी अकिदा यही है 
लेकिन एहले हदीस इन अकिदो से फरार ईख्तियार कर गये और झुठे सलफी बन गयेwww.islamicbatein786@blogspot.com

Comments

Popular posts from this blog

मिलादुन्नबी सल्लल्लाहू अलैह व सल्लम के दिन खुब सलाम ही सलाम भेजो क्योकि कुरान कहता है।

ईदे गदीर मनाना जाईज़ है या नहीं"

एक नौजवान कहता है: