अशरा_ए_ज़िलहिज्जा_में_करने_के_काम

🕋*#अशरा_ए_ज़िलहिज्जा_में_करने_के_काम*🕋

*1. कसरत से नवाफिल अदा करना-*
*2. नमाज़ों में मुकम्मल पाबंदी करना-*
*3.कसरते सुजूद से क़ुर्बे इलाही का हासिल करना-(सही मुस्लिम)*
*4. नफ्ल रोज़े का एहतिमाम करें-*
क्यूंकि आमाले स्वालेहा में रोज़े शामिल हैं- रसूलल्लाह ﷺ ज़िलहिज्जा की शुरू तारीखों में रोज़ा रखते थे,यौमे आशूरा, मुहर्रम और हर महीने तीन रोज़े रखना भी आप ﷺ का मामूल था-
(بحوالہ ابوداؤد، مسند احمد)
*5. कसरत से अल्लाह तआला की हम्दो सना बयान करना भी इन अय्याम का एक मारूफ फअल है-*

इमाम बुखारी رحمتہ اللہ علیہ के मुताबिक़ सैय्यिदिना अबू हुरैरा رضی اللہ عنہ और सैय्यिदिना अब्दुल्लाह बिन उमर رضی اللہ عنہم बाज़ारों में जाते थे,खुद भी तकबीरात कहते और लोग भी तकबीरात बलंद आवाज़ से पढ़ते थे- सैय्यिदिना उमर رضی اللہ عنہ अपने खैमे में बलंद आवाज़ से तकबीरें कहते तो अहले मस्जिद उसको सुनकर जवाबन तकबीरें कहते थे- सैय्यिदिना इब्ने उमर رضی اللہ عنہ नमाज़ों के बाद,घर में,आते जाते,पैदल चलते हुए तकबीरें कहते थे- अफसोस सद अफसोस कि इन अय्याम में ये अज़ीम सुन्नत खत्म हो गई है- 
तकबीर इन अल्फाज़ से कही जाती है:
    *اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ،*
                *لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ،*
            *اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ،*
                 *وللَّهِ الحمد*

    *اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ،*
               *لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ،* 
           *اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ،*
               *وللَّهِ الحمد*

    *اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ،*
               *لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ،* 
            *اللَّهُ أَكْبَرُ، اللَّهُ أَكْبَرُ،*
                *وللَّهِ الحمد*

*ﷲُ اَکْبَراَﷲُ اَکْبَرلَا اِلٰہَ اِلَّا اﷲُ وَ اﷲُ اَکْبَراَﷲُ اَکْبَر وَ ِﷲِ الْحَمْدُ*
*6. यौमे अरफा का रोज़ा रखना-*
रसूलुल्लाह ﷺ से साबित है- आप ﷺ ने फ़रमाया:
          "मैं उम्मीद करता हूं कि यौमे अरफा का रोज़ा एक साल पहले और एक साल बाद के गुनाहों को मिटा देता है-"
 (صحیح مسلم)
*🌷 लेकिन ये रोज़ा हाजियों के लिए नहीं है 🌷*

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