शैतान 👹 की दरख्वास्त ■
■ शैतान 👹 की दरख्वास्त ■
■••• खुदा तआला ने शैतान को हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की ख़ातिर जब अपनी बारगाह से निकाल दिया तो शैतान ने खुदा से दरख्वास्त की कि इलाही तूने मुझे मरदूद तो कर ही डाला है अब इतना कर कि मुझे आदम की औलाद पर पूरी कुदरत और काबू दे दे, ताकि उन्हें मैं गुमराह कर सकूँ खुदा ने फ़रमाया जा तू उन पर काबू याफ़ता है और मैंने तुझे उन पर कुदरत दे दी कहने लगा, इलाही ! कुछ और ज़्यादा कर फ़रमाया तू उन के मालों में शिरकत करले, यअनी तू उन के माल मसियत में खर्च करवा सकेगा कहने लगा कुछ और ज़्यादा कर फरमायां जा ! उनके सीने तेरे रहने के घर होंगे !
■••• यह सुन कर हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने अर्ज की, इलाही ! तूने शैतान को मुझ पर पूरा मुसल्लत और आम गलबा दे दिया है, तो मैं बजुज़ तेरी पनाह के उस के मक्र - फरेब से कैसे बचूँगा ? फरमायाः आदम ! तुम्हारे हाँ जो बच्चा भी पैदा होगा, मैं उस पर एक ज़बरदस्त फ़रिश्ता मुतझैय्यन करूँगा जो उसे शैतानी वसाइस से बचाएगा, अर्ज़ किया इलाही ! और ज़्यादा कर, फरमायाः मैं एक नेकी के बदले दस गुना सवाब दूंगा, अर्ज़ किया इलाही ! कुछ और ज़्यादा कर, फ़रमाया मैं उनसे तौबा का माद्दा न छीनूँगा, जब तक उनके जिस्मों में रूहें बाकी रहेंगी अर्ज़ किया इलाही ! कुछ और ज़्यादा कर, फ़रमाया ! मैं उनके सरों पर अपनी मगफिरत का ताज रखूगा और किसी की परवाह न करूँगा, आदम अलैहिस्सलाम ने अर्ज किया, इलाही बस मुझे यह काफ़ी है !
*📕 (नुज्हतुल - मजालिस जिः 2, सः 31,32)*
*■••• सबक:* शैतान की यह दुआ व दरख्वास्त इसलिए कबूल कर ली गई, ताकि अल्लाह के नेक बंदों और सच्चे बंदों का खुदा से जो तअल्लुक और जज़्बा - ए - मुहब्बत हे और नेक काम करने की उनके दिलों में जो तड़प है, उसके इज़हार का उन्हें मौकअ मिल सके, अगर शैतान को बंदों पर कुदरत न दी जाती और वह उनके माल - जान में तसर्रूफ करने का मजाज़ न होता तो फिर नेकी न रहती बिगैर कस्ब् सई के हासिल शुदा एक नज़री चीज़ रह जाती नेकी को नेकी बनाने के लिए शैतान को खुला छोड़ दिया गया, तकि सईदे फितरत इंसान शैतान से बचाओ के लिए हर मुम्किन कोशिश करे, और खुदा से अपना तअल्लुक बर करार रखने की कोशिश का मज़ाहिरा करे।
📘 *(शैतान की हिकायात, सफ्हा: 26,27,28)*
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