तारीखे करबला
* तारीखे करबला *
*पोस्ट नम्बर ' 2 '*
* शहादत की किस्में :* शहादते जहरी और शहादते सिरीं यानी ऐलानिया और पोशीदा , शहादते जहरी यह है कि एक मुसलमान अल्लाह की राह में आला-ए-कलिमतुल्लाह के लिए अल्लाह तआला और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दुश्मनों से लड़ता हुआ और तरह तरह की तक्लीफें और मुसीबतें बर्दाश्त करता हुआ ऐलानिया जान दे दे या मज़्लूमाना तौर पर कत्ल हो जाए और शहादते सिरी यह है कि किसी के जहर देने से या ताऊन की वबा से या अचानक किसी हादसा का शिकार हो जाए मसलन कोई इमारत गिर जाए और यह नीचे आकर दब जाए या कहीं आग लग जाए और यह जल जाए या तैरता और नहाता हुआ या सैलाब की वजह से डूब जाए या तलबे इल्मे दीन या सफरे हज , या पेट और सिल और दिक के मर्ज में इंतिकाल कर जाए और औरत हालते निफास में मर जाए.
* शहीद का माना :* इमाम फख्रुद्दीन राजी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं । शहीद वह शख्स है जो अल्लाह तआला के दीन की सेहत व सदाकत की कभी तो दलील व बुरहान और कुब्बते बयान से और कभी शम्शीर व सिनान से शहादत दे और अल्लाह की राह में कत्ल होने वाले को भी इसी मुनासिबत से शहीद कहा जाता कि वह अपनी जान कुरबान करके अल्लाह के दीन की हक्कानियत की शहादत देता है। इस माना के मुताबिक तस्लीम करना पड़ेगा कि शहादत का इंआम व कमाल हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़ाते मुबारक में बदरजा अतम मौजूद था। इसलिए कि अल्लाह तआला के दीन की हक्कानियत की जिस तरह आपने बेशुमार दलाइल व बराहीन और रौशन बयानात व मोजजात के साथ शहादत दी है और किसी ने नहीं दी
* शामे करबला सफह 6 *
* अहले - बैते नुबुव्वत पाक हैं * अहले - बैते नुबुव्वत यह वह मुकद्दस हस्तियां हैं कि जिस तरह हुजूर नबीए करीम अलैहिस्सलातु वत्तस्लीम सारे नबियों और रसूलों के सरदार हैं। इसी तरह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अहले - बैते अतहार तमाम अंबियाए किराम व रसूलाने इज़ाम के अहले - बैत के सरदार हैं। उन पाकीज़ा नुफूस की शाने आलिया में अल्लाह जल ज शानुहू अपने मुकद्दस कलामे पाक में इरशाद फ़रमाता है - ऐ नबी के घर वालो ! अल्लाह तो यही चाहता है कि तुम से हर नापाकी दूर फ़रमाए और तुम्हें पाक करके खूब सुथरा कर दे..
*( सूरह अहज़ाब पारह 22 रुकू 1 )*
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