(एक अदालती फेसला और कन्जुल ईमान तर्जुमानी कुरान आला हजरत )

(एक अदालती फेसला और कन्जुल ईमान तर्जुमानी कुरान आला हजरत ) 

हुवा यु कि प्रोपर्टी डिलरो ने और मालदारो ने अपने माल के दम पर ज़मिन पर ज़मिन खरीदी और बङी बङी इमारते तामिर कि जिसकी बिना पर ज़मिन के रेट आसमान छुने लगे और आलम ये हो गया कि गरीबो या मिडियम क्लास के लोगो के लिये अपनी ज़मिन खरीदना सोच से भी बहार हो गया 

इस हालत को देखते हुवे पाकिस्तान मुल्क ने एक या दौ ज़मिनो कि खरीदी के बाद कानूनन ज़मिनी खरीदी पर रोक लगानी चाही ताकी ज़मिन कि किल्लत खत्म हो और ज़मिन के भाव कम हो और हर गरीब को अपनी ज़मिन मिल सके 
क्योकि इन्सानियत का तकाज़ा था कि सब इन्सान बराबर रहे और अमिर गरीब का फर्क मिटने लगे 

लेकिन उस पास शुदा कानून को रद्द करने के लिये सरमाए दारो ने कोर्ट मे याचिका दायर कि ,,मसला ये खङा हुवा कि शरीयत कि निगाह मे ये कानून सही है या नही 
मालदार के वकिल ने कुरान कि सुराह ज़ुखरुफ कि आयत नम्बर 32 का एक जुज़ पेश किया ये वाला 👇
وَ رَفَعۡنَا بَعۡضَہُمۡ فَوۡقَ بَعۡضٍ دَرَجٰتٍ لِّیَتَّخِذَ بَعۡضُہُمۡ بَعۡضًا سُخۡرِیًّا
तर्जुमा -और एक दुसरे को बुलन्द किया है ताकी एक दुसरे को मातहत कर ले ,

ये 👆तर्जुमा आला हजरत का नही है बल्कि जुना गढी का है 
ये तर्जुमा पेश करके उस वकिल ने कहा कि जब अल्लाह ने मालदार को गरीब पर फज़िलत दी है और गरीब को मातहत किया है तो तुम ये कानून बनाकर इस सबको बराबर क्यो कर रहे हो ? 

मानो इस आयत के गलत तर्जुमे कि बुनियाद पर गरीबो को खादीम और मालदार को मखदुम का तसव्वुर दिया गया और गरीब का मज़ाक बनाया गया 
क्योकि आयत मे मौजुद (सुखरिया ) लफ्ज़ का तर्जुमा मातहत ,खिदमत ,या काम आए का कर दिया गया 

जबकी ये आयत तो अमिरी गरीबी कि बुनियाद पर फज़िलत को खत्म करने के लिये नाज़िल हुवी थी 
फिर एक दुसरे वकिल ने आला हजरत का तर्जुमा पेश किया और बताया कि मालदार गरीब का मज़ाक बनाते है और कहते है कि तुम को कोई फज़िलत नही तुम हमारे काम करने के लिये ही गरीब बनाए गये हो 
इस रद्द के लिये उतरी ये आयत और इसका हकिकि तसव्वुर व मकसद आला हजरत के तर्जुमे मे मिला ये देखिये 👇👇
एक दुसरे पर बुलन्दी दी के ये एक दुसरे कि हसी बनाए 

यानी अल्लाह ने किसी को मालदार और किसी को गरीब इसलिये नही बनाया कि तुम गरीब का मज़ाक बनाओ और इनके लिये जिन्दगी के वसाईल तंग करो 
बल्कि इसलिये बनाया कि तुम हमदर्दी करो सबको बराबर से देखो और गरीब के काम आओ ना कि उनको गुलाम बनाओ दौलत के बलबुते 
आप चाहे किसी का भी तर्जुमा पढ लिजिये सिवाए आला हजरत के किसी ने सुखरिया का तर्जुमा हंसी नही किया

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