खानदान ,कुम्बा ,कबाईल ,या नसब

(खानदान ,कुम्बा ,कबाईल ,या नसब कि एहमियत क्या है इस्लाम मे ?) 

खानदान कुम्बा यानी अन्सारी ,पठान ,मिर्ज़ा ,कुरेश ,सय्यद इनकी इस्लाम मे क्या एहमियत है ? तो कुरान फरमाता है 👇👇
یٰۤاَیُّہَا النَّاسُ  اِنَّا خَلَقۡنٰکُمۡ  مِّنۡ ذَکَرٍ وَّ اُنۡثٰی وَ جَعَلۡنٰکُمۡ شُعُوۡبًا وَّ قَبَآئِلَ لِتَعَارَفُوۡا
यानी - ऐ लोगो हमने तुम्हे एक मर्द और एक औरत से पैदा किया और तुम्हे शाखे और कबिले किया के आपस मे पहचान रखो ( सुराह हुजुरात आयत 13)

तो अल्लाह ने तमाम रुए ज़मिन के खानदानो और कबिलो कि निसबत एक वाहीद जान एक जोङा यानी हजरत आदम व हजरत हव्वा कि तरफ कि 
यानी तुम सब एक जोङे कि पैदावर हो 
एक जोङे कि तरफ निसबत करने मे हिकमत यही है कि तुम सब एक हो अपनी अपनी पैदाईश के एतबार से 
सब बराबर हो ,

तुमको कबाईल व खानदानो मे इसलिये फैलाया गया है कि तुम्हारा لِتَعَارَفُوۡ यानी ताआर्रुफ हो ,तुम्हारी शिनाख्त हो तुम्हारी एक पहचान बन जाए 
तुम्हारे काम काज कि ,तुम्हारे कलचर कि ,तुम्हारी रविश कि तुम्हारी भाषा शैली कि 

जैसे लोहारी खानदान को उनके काम जो वो लोहारी का करते है यानी लोहे की चिज़े बनाने का 
तो उनको लोहा ढालने का हुनर अल्लाह ने अता करके उनके काम कि निसबत से लोहारी समाज कि पहचान कायम कर दी ,,
अब लोहार होना कोई छोटी जाती या ऊंची जाती का कोई मसला नही है ।

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