करामात-ए-मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द।

करामात-ए-मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द। 👇

एक बार हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द फैज़ाबाद गए तब हज़रत मौलाना अब्दुल कय्यूम मुज़फ्फरपुरी अपने साथ आशिक अली नामी एक शख्स को लेकर आपके पास बैत के लिए आए, आपने उससे फरमाया "कहो की मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया" वो बोला मैंने अपना हाथ मुफ्ती-ए-आज़म के हाथ में दिया,आपने
फिर से फरमाया कहो की मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया वो फिर बोला मैंने अपना हाथ मुफ्ती-ए-आज़म के हाथ में दिया अभी थोड़ी देर पहले आपने मुझे गुनाहों से तौबा करवाई है अब मैं झूठ कैसे बोल सकता हूँ, आपने उसे समझाया बैत का यही तारिका होता है तुम मुझसे बैत कर रहे हो तो सिलसिले से होकर ये गौस-ए-आज़म तक पुहँचता है, मगर वो नहीं माना? आप जलाल में आ गए और उसके सर पर अपना अमामा शरीफ़ डालकर उससे फरमाया, "तुम ये क्यों नहीं कह रहे हो"??? कहो की मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया, उसने फौरन कहा मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया, वो ये अल्फाज लागातार कहता रहा यहाँ तक की वो बेहोश हो गया, जब उसे होश आया तो मौलाना अब्दुल कय्यूम ने उसे कोने में ले जाकर पूछा क्या हुआ था??? उस शख्स ने कहा जैसे ही हज़रत ने अपना अमामा शरीफ मेरे सर पर रखा तो मैंने देखा की हुज़ूर गौस-ए-आज़म मेरे सामने है और कह रहे हैं की आशिक अली, मुफ्ती-ए-आज़म के हाथ मेरे हाथ है वो मेरे खलीफा है, कहो की मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया, जब मैंने ये सुना तो मैं कहने लगा की मैंने अपना हाथ गौस-ए-आज़म के हाथ में दिया और जब गौस-ए-आज़म रूखसत हुए तो मैं बेहोश हो गया।

माशाअल्लाह सुब्हानअल्लाह 😍💖

ये शान है मेरे मुफ्ती-ए-आज़म हिन्द की, 
के उन्हें खुद गौस-ए-आज़म अपना ख़लीफ़ा कहते हैं। ❣️

🥀رضی اللہ تعالیٰ عنہ🥀

#Mufti_e_Aazam_Zindabad🙌💖
#Youm_Widat_Huzoor_Mufti_e_Azam💖

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