नफ्स_परस्ती_का_इबरतनाक_अंजाम

*#नफ्स_परस्ती_का_इबरतनाक_अंजाम*
      (*#औरतों_और_मर्दों_के_लिए*)

हज़रत सैय्यदुना अब्दुल्लाह बिन मुस्लिम बिन क़ुतैबह رحمتہ اللہ تعالٰی علیہ से मनक़ूल है कि:
       "जब "अर्दशीर" नामी बादशाह ने अपनी हुकूमत को मुस्तहकम कर लिया तो छोटे छोटे बादशाहों ने उसके ताबे रहने का इक़रार कर लिया- अब उसकी नज़र सल्तनते "सुरयानियह" पर थी- ये बड़ा मुल्क था- चुनांचा "अर्दशीर" ने उस पर चढ़ाई कर दी- वहां का बादशाह एक बड़े शहर में क़िला बंद था- अर्दशीर ने शहर का मुहासिरा कर लिया लेकिन काफी अरसा गुज़रने के बाद भी शहर फतह ना हो सका-

एक दिन बादशाह की बेटी क़िले की दीवार पर चढ़ी तो उसकी नज़र अर्दशीर पर पड़ी- उसकी मर्दाना वजाहत और खूबसूरती देखकर शहज़ादी नफ्सानी ख्वाहिश में मुब्तिला हो गई और एक तीर पर ये इबारत लिखकर तीर उसकी जानिब फेंक दिया:
        "ऐ हसीनों जमील बादशाह! अगर तू मुझसे शादी करने का वादा करे तो मैं तुझे ऐसा खुफिया रास्ता बताऊंगी कि थोड़ी सी मशक़्क़त से ये शहर फतह कर लोगे-"
बादशाह ने शहज़ादी की तहरीर पढ़कर ये जवाब भेजा:
         "अगर ऐसा हो जाए तो मेरा वादा है कि मैं तुझसे शादी कर लूंगा-"
चुनांचा शहज़ादी ने फौरन खुफिया रास्ते का पता लिखकर तीर बादशाह की तरफ फेंक दिया- शहवत के हाथों मजबूर होने वाली उस बेमुरव्वत शहज़ादी के बताए हुए रास्ते से अर्दशीर ने बहुत जल्द शहर फतह कर लिया- बहुत सारे सिपाही हलाक हो गए और शहज़ादी का बाप शहर का बादशाह भी क़त्ल कर दिया गया-

हस्बे वादा अर्दशीर ने शहज़ादी से शादी कर ली- शहज़ादी को ना तो अपने बाप की हलाकत का गम था और ना ही अपने मुल्क की बर्बादी की कोई परवाह- बस अपनी नफ्सानी ख्वाहिश के मुताबिक़ होने वाली शादी पर वो बेहद खुश थी- दिन गुज़रते गए उसकी खुशियों में इज़ाफा होता रहा-
एक रात जब वो बिस्तर पर लेटी तो काफी देर तक नींद ना आई बेचैनी से बार बार करवटें बदलती- अर्दशीर ने उसकी ये हालत देखकर पूछा:
        "क्या बात है जो तुम्हे नींद नहीं आ रही?"
शहज़ादी ने कहा:
         "मेरे बिस्तर पर कोई चीज़ है जिसने मुझे बेचैन कर दिया है-"
अर्दशीर ने जब बिस्तर देखा तो चंद धागे एक जगह जमा थे उनकी वजह से शहज़ादी का इंतिहाई नर्मो नाज़ुक जिस्म बेचैन हो रहा था- अर्दशीर को उसके जिस्म की नर्मी व नज़ाकत पर बड़ा ताज्जुब हुआ- उसने पूछा:
         "तुम्हारा बाप तुम्हे कौन सी गिज़ा खिलाता था जिसकी वजह से तुम्हारा जिस्म इतना नर्मो नाज़ुक है?"
शहज़ादी ने कहा:
         "मेरी गिज़ा में मक्खन, हड्डियों का गूदा,शहद और मग़्ज़ शामिल था-"
अर्दशीर ने कहा:
        "तेरे बाप की तरह आसाइशें और आराम तुझे किसी ने ना दिया होगा- तूने उसके एहसान और क़राबत का इतना बुरा बदला दिया कि उसे क़त्ल करवा डाला- जब तू अपने शफीक़ बाप के साथ भलाई ना कर सकी तो मैं भी अपने आपको तुझसे महफूज़ नहीं समझता-"
फिर अर्दशीर ने हुक्म दिया कि:
        "इसके बालों को ताक़तवर घोड़े की दुम से बांध कर घोड़े को तेज़ी से दौड़ाया जाए-"
हुक्म की तामील हुई और चंद ही लम्हों में उस नफ्स परस्त शहज़ादी का जिस्म टुकड़े टुकड़े हो गया-
(عیون الحکایات ، ص۳۳۰)

अल्लाह हमें नफ्सानी ख्वाहिशों की तबाहकारियों से महफूज़ रखे- 
तारीख गवाह है कि नफ्सानी ख्वाहिशें बादशाह को गुलाम बना देती हैं..मुअज़्ज़ज़ीन को ज़िल्लत व रुसवाई के गहरे गड्ढे में डाल देती हैं- इज़्ज़तो दौलत,शानो शौकत सब खाक में मिल जाती है- नफ्सानी ख्वाहिशात की पैरवी करने वालों को अगर दुनियां में चंद रोज़ ऐशो इशरत मिल भी जाए तब भी क़ल्बी सुकून और इत्मीनान नसीब नहीं होता- 
समझदार वही है जो दायमी फायदे का तलबगार हो..चंद लम्हों की लज़्ज़त की खातिर हमेशा के सुकून व सुरूर को छोड़ देना अव्वल दर्जे की नादानी है- 

अल्लाहعَزَّوَجَلَّ हमें अक़्ले सलीम अता फरमाए- नफ्सानी ख्वाहिशात से महफूज़ रखे और अपनी रज़ा वाले काम करने की तौफीक़ अता फरमाए..!!
اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم

(فیضان ریاض الصالحین' جلد1)

Comments

Popular posts from this blog

मिलादुन्नबी सल्लल्लाहू अलैह व सल्लम के दिन खुब सलाम ही सलाम भेजो क्योकि कुरान कहता है।

ईदे गदीर मनाना जाईज़ है या नहीं"

एक नौजवान कहता है: