हज़रत__उमर_رضي_الله_عنه की_बहादुरी
#हज़रत__उमर_رضي_الله_عنه की_बहादुरी
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हजरत उमर رضي الله عنه की बहादुरी से कौन नावाक़िफ होगा...!! ♡ सारी दुनिया उन की शुजाआत व दिलेरी का एतराफ़ करती है..! शुरू इस्लाम में मुसलमान काबा के पास नमाज़ नहीं पढ़ सकते थे, लेकिन हज़रत उमर फारुक رضي الله عنه के इस्लाम लाते ही मुसलमान #ख़ान-ए-काबा में खुल्लम खुल्ला नमाज़ पढ़ने लगे ♡....! हजरत #अली رضي الله عنه फरमाते हैं के मेरे इल्म के मुताबिक हर एक ने हिजरत छुप कर की : लेकिन हज़रत उमर फारुक رضي الله عنه ने #अलल एलान हिजरत की....! जब उन्होंने हिजरत का इरादा फरमाया, तो अपनी #तलवार गले में लटकाई और अपनी कमान कंधे पर डाली और बहुत सारे तीर हाथ में लेकर बैतुल्लाह (काबा शरीफ) के पास आए और इत्मेनान से तवाफ किया और फिर मकामे इब्राहीम के पास जा कर दो रकात नमाज़ पढ़ी, फिर मुश्रिकीन की एक एक टोली में गए और फर्माया के जो यह चाहता हो के उस की माँ उस के मरने पर पाए और उसकी #औलाद यतीम हो जाए और उस की बीवी बेवा हो जाए, वह #मक्का ये बहार आकर मेरा मुकाबला करे...♡..
इस के बाद आप رضي الله عنه ने हिजरत की मगर कोई आप رضي الله عنه का पीछा करने की हिम्मत न कर सका...! हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद رضي الله عنه फर्माते हैं के उमर رضي الله عنه का इस्लाम लाना #मुसलमानों की फ़तह थी और उन की हिजरत मुसलमानों की मदद थी और उन की ख़िलाफत रहमत थी......... ♡♡
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